وَٱلَّيْلِ
क़सम है रात की
إِذَا
जब
يَغْشَىٰ
वो छा जाए
Waallayli itha yaghsha
साक्षी है रात जबकि वह छा जाए,
وَٱلنَّهَارِ
और दिन की
إِذَا
जब
تَجَلَّىٰ
वो रौशन हो
Waalnnahari itha tajalla
और दिन जबकि वह प्रकाशमान हो,
وَمَا
और उसकी
خَلَقَ
जिसने पैदा किया
ٱلذَّكَرَ
नर
وَٱلْأُنثَىٰٓ
और मादा को
Wama khalaqa alththakara waalontha
और नर और मादा का पैदा करना,
إِنَّ
बेशक
سَعْيَكُمْ
कोशिश तुम्हारी
لَشَتَّىٰ
अलबत्ता मुख़्तलिफ़ तरह की है
Inna sa'yakum lashatta
कि तुम्हारा प्रयास भिन्न-भिन्न है
فَأَمَّا
तो रहा वो
مَنْ
जिसने
أَعْطَىٰ
दिया
وَٱتَّقَىٰ
और उसने तक़्वा किया
Faamma man a'ta waittaqa
तो जिस किसी ने दिया और डर रखा,
وَصَدَّقَ
और तस्दीक़ की
بِٱلْحُسْنَىٰ
भलाई की
Wasaddaqa bialhusna
और अच्छी चीज़ की पुष्टि की,
فَسَنُيَسِّرُهُۥ
पस अनक़रीब हम आसानी देंगे उसे
لِلْيُسْرَىٰ
आसान(रास्ते)की
Fasanuyassiruhu lilyusra
हम उस सहज ढंग से उस चीज का पात्र बना देंगे, जो सहज और मृदुल (सुख-साध्य) है
وَأَمَّا
और रहा वो
مَنۢ
जिसने
بَخِلَ
बुख़्ल किया
وَٱسْتَغْنَىٰ
और उसने बेपरवाई बरती
Waamma man bakhila waistaghna
रहा वह व्यक्ति जिसने कंजूसी की और बेपरवाही बरती,
وَكَذَّبَ
और उसने झुठलाया
بِٱلْحُسْنَىٰ
नेकी को
Wakaththaba bialhusna
और अच्छी चीज़ को झुठला दिया,
فَسَنُيَسِّرُهُۥ
पस अनक़रीब हम आसानी देंगे उसे
لِلْعُسْرَىٰ
मुश्किल(रास्ते) की
Fasanuyassiruhu lil'usra
हम उसे सहज ढंग से उस चीज़ का पात्र बना देंगे, जो कठिन चीज़ (कष्ट-साध्य) है
القرآن الكريم: | الليل |
---|---|
आयत सजदा (سجدة): | - |
सूरा (latin): | Al-Lail |
सूरा: | 92 |
कुल आयत: | 21 |
कुल शब्द: | 71 |
कुल वर्ण: | 310 |
रुकु: | 1 |
वर्गीकरण: | मक्कन सूरा |
Revelation Order: | 9 |
से शुरू आयत: | 6058 |