اِنَّمَا السَّبِيْلُ عَلَى الَّذِيْنَ يَسْتَأْذِنُوْنَكَ وَهُمْ اَغْنِيَاۤءُۚ رَضُوْا بِاَنْ يَّكُوْنُوْا مَعَ الْخَوَالِفِۙ وَطَبَعَ اللّٰهُ عَلٰى قُلُوْبِهِمْ فَهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ ۔ ( التوبة: ٩٣ )
Innama alssabeelu 'ala allatheena yastathinoonaka wahum aghniyao radoo bian yakoonoo ma'a alkhawalifi wataba'a Allahu 'ala quloobihim fahum la ya'lamoona (at-Tawbah 9:93)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
इल्ज़ाम तो बस उनपर है जो धनवान होते हुए तुमसे छुट्टी माँगते है। वे इसपर राज़ी हुए कि पीछे डाले गए लोगों के साथ रह जाएँ। अल्लाह ने तो उनके दिलों पर मुहर लगा दी है, इसलिए वे जानते नहीं
English Sahih:
The cause [for blame] is only upon those who ask permission of you while they are rich. They are satisfied to be with those who stay behind, and Allah has sealed over their hearts, so they do not know. ([9] At-Tawbah : 93)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
उनकी ऑंखों से ऑंसू जारी थे (इल्ज़ाम की) सबील तो सिर्फ उन्हीं लोगों पर है जिन्होंने बावजूद मालदार होने के तुमसे (जिहाद में) न जाने की इजाज़त चाही और उनके पीछे रह जाने वाले (औरतों, बच्चों) के साथ रहना पसन्द आया और ख़ुदा ने उनके दिलों पर (गोया) मोहर कर दी है तो ये लोग कुछ नहीं जानते