لَيْسَ عَلَى الضُّعَفَاۤءِ وَلَا عَلَى الْمَرْضٰى وَلَا عَلَى الَّذِيْنَ لَا يَجِدُوْنَ مَا يُنْفِقُوْنَ حَرَجٌ اِذَا نَصَحُوْا لِلّٰهِ وَرَسُوْلِهٖۗ مَا عَلَى الْمُحْسِنِيْنَ مِنْ سَبِيْلٍ ۗوَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌۙ ( التوبة: ٩١ )
Laysa 'ala alddu'afai wala 'ala almarda wala 'ala allatheena la yajidoona ma yunfiqoona harajun itha nasahoo lillahi warasoolihi ma 'ala almuhsineena min sabeelin waAllahu ghafoorun raheemun (at-Tawbah 9:91)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
न तो कमज़ोरों के लिए कोई दोष की बात है और न बीमारों के लिए और न उन लोगों के लिए जिन्हें ख़र्च करने के लिए कुछ प्राप्त नहीं, जबकि वे अल्लाह और उसके रसूल के प्रति निष्ठावान हों। उत्तमकारों पर इलज़ाम की कोई गुंजाइश नहीं है। अल्लाह तो बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है
English Sahih:
There is not upon the weak or upon the ill or upon those who do not find anything to spend any discomfort [i.e., guilt] when they are sincere to Allah and His Messenger. There is not upon the doers of good any cause [for blame]. And Allah is Forgiving and Merciful. ([9] At-Tawbah : 91)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल जिहाद में न जाने का) न तो कमज़ोरों पर कुछ गुनाह है न बीमारों पर और न उन लोगों पर जो कुछ नहीं पाते कि ख़र्च करें बशर्ते कि ये लोग ख़ुदा और उसके रसूल की ख़ैर ख्वाही करें नेकी करने वालों पर (इल्ज़ाम की) कोई सबील नहीं और ख़ुदा बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है