فَرِحَ الْمُخَلَّفُوْنَ بِمَقْعَدِهِمْ خِلٰفَ رَسُوْلِ اللّٰهِ وَكَرِهُوْٓا اَنْ يُّجَاهِدُوْا بِاَمْوَالِهِمْ وَاَنْفُسِهِمْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَقَالُوْا لَا تَنْفِرُوْا فِى الْحَرِّۗ قُلْ نَارُ جَهَنَّمَ اَشَدُّ حَرًّاۗ لَوْ كَانُوْا يَفْقَهُوْنَ ( التوبة: ٨١ )
Fariha almukhallafoona bimaq'adihim khilafa rasooli Allahi wakarihoo an yujahidoo biamwalihim waanfusihim fee sabeeli Allahi waqaloo la tanfiroo fee alharri qul naru jahannama ashaddu harran law kanoo yafqahoona (at-Tawbah 9:81)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
पीछे रह जानेवाले अल्लाह के रसूल के पीछे अपने बैठ रहने पर प्रसन्न हुए। उन्हें यह नापसन्द हुआ कि अल्लाह के मार्ग में अपने मालों और अपनी जानों के साथ जिहाद करें। और उन्होंने कहा, 'इस गर्मी में न निकलो।' कह दो, 'जहन्नम की आग इससे कहीं अधिक गर्म है,' यदि वे समझ पाते (तो ऐसा न कहते)
English Sahih:
Those who remained behind rejoiced in their staying [at home] after [the departure of] the Messenger of Allah and disliked to strive with their wealth and their lives in the cause of Allah and said, "Do not go forth in the heat." Say, "The fire of Hell is more intense in heat" – if they would but understand. ([9] At-Tawbah : 81)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(जंगे तबूक़ में) रसूले ख़ुदा के पीछे रह जाने वाले अपनी जगह बैठ रहने (और जिहाद में न जाने) से ख़ुश हुए और अपने माल और आपनी जानों से ख़ुदा की राह में जिहाद करना उनको मकरू मालूम हुआ और कहने लगे (इस) गर्मी में (घर से) न निकलो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि जहन्नुम की आग (जिसमें तुम चलोगे उससे कहीं ज्यादा गर्म है