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كَيْفَ يَكُوْنُ لِلْمُشْرِكِيْنَ عَهْدٌ عِنْدَ اللّٰهِ وَعِنْدَ رَسُوْلِهٖٓ اِلَّا الَّذِيْنَ عَاهَدْتُّمْ عِنْدَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِۚ فَمَا اسْتَقَامُوْا لَكُمْ فَاسْتَقِيْمُوْا لَهُمْ ۗاِنَّ اللّٰهَ يُحِبُّ الْمُتَّقِيْنَ   ( التوبة: ٧ )

How
كَيْفَ
किस तरह
can (there) be
يَكُونُ
हो सकता है
for the polytheists
لِلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकीन के लिए
a covenant
عَهْدٌ
कोई अहद
with
عِندَ
अल्लाह के नज़दीक
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के नज़दीक
and with
وَعِندَ
और उसके रसूल के नज़दीक
His Messenger
رَسُولِهِۦٓ
और उसके रसूल के नज़दीक
except
إِلَّا
सिवाय
those (with) whom
ٱلَّذِينَ
उनके जिनसे
you made a treaty
عَٰهَدتُّمْ
मुआहिदा किया तुमने
near
عِندَ
पास
Al-Masjid?
ٱلْمَسْجِدِ
मस्जिदे हराम के
Al-Haraam?
ٱلْحَرَامِۖ
मस्जिदे हराम के
So long as
فَمَا
तो जब तक
they are upright
ٱسْتَقَٰمُوا۟
वो सीधे रहें
to you
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
then you be upright
فَٱسْتَقِيمُوا۟
पस तुम भी सीधे रहो
to them
لَهُمْۚ
उनके लिए
Indeed
إِنَّ
बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
loves
يُحِبُّ
वो पसंद करता है
the righteous
ٱلْمُتَّقِينَ
मुत्तक़ी लोगों को

Kayfa yakoonu lilmushrikeena 'ahdun 'inda Allahi wa'inda rasoolihi illa allatheena 'ahadtum 'inda almasjidi alharami fama istaqamoo lakum faistaqeemoo lahum inna Allaha yuhibbu almuttaqeena (at-Tawbah 9:7)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

इन मुशरिकों को किसी संधि की कोई ज़िम्मेदारी अल्लाह और उसके रसूल पर कैसे बाक़ी रह सकती है? - उन लोगों का मामला इससे अलग है, जिनसे तुमने मस्जिदे हराम (काबा) के पास संधि की थी, तो जब तक वे तुम्हारे साथ सीधे रहें, तब तक तुम भी उनके साथ सीधे रहो। निश्चय ही अल्लाह को डर रखनेवाले प्रिय है। -

English Sahih:

How can there be for the polytheists a treaty in the sight of Allah and with His Messenger, except for those with whom you made a treaty at al-Masjid al-Haram? So as long as they are upright toward you, be upright toward them. Indeed, Allah loves the righteous [who fear Him]. ([9] At-Tawbah : 7)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(जब) मुशरिकीन ने ख़ुद एहद शिकनी (तोड़ा) की तो उन का कोई एहदो पैमान ख़ुदा के नज़दीक और उसके रसूल के नज़दीक क्योंकर (क़ायम) रह सकता है मगर जिन लोगों से तुमने खानाए काबा के पास मुआहेदा किया था तो वह लोग (अपनी एहदो पैमान) तुमसे क़ायम रखना चाहें तो तुम भी उन से (अपना एहद) क़ायम रखो बेशक ख़ुदा (बद एहदी से) परहेज़ करने वालों को दोस्त रखता है