لَا تَعْتَذِرُوْا قَدْ كَفَرْتُمْ بَعْدَ اِيْمَانِكُمْ ۗ اِنْ نَّعْفُ عَنْ طَاۤىِٕفَةٍ مِّنْكُمْ نُعَذِّبْ طَاۤىِٕفَةً ۢ بِاَنَّهُمْ كَانُوْا مُجْرِمِيْنَ ࣖ ( التوبة: ٦٦ )
(Do) not
لَا
ना तुम उज़र पेश करो
make excuse;
تَعْتَذِرُوا۟
ना तुम उज़र पेश करो
verily
قَدْ
तहक़ीक़
you have disbelieved
كَفَرْتُم
कुफ़्र किया तुमने
after
بَعْدَ
बाद
your belief
إِيمَٰنِكُمْۚ
अपने ईमान के
If
إِن
अगर
We pardon
نَّعْفُ
हम माफ़ कर दें
[on]
عَن
एक गिरोह को
a party
طَآئِفَةٍ
एक गिरोह को
of you
مِّنكُمْ
तुम में से
We will punish
نُعَذِّبْ
(तो) हम अज़ाब देंगे
a party
طَآئِفَةًۢ
एक गिरोह को
because they
بِأَنَّهُمْ
बवजह उसके कि वो
were
كَانُوا۟
हैं वो
criminals
مُجْرِمِينَ
मुजरिम
La ta'tathiroo qad kafartum ba'da eemanikum in na'fu 'an taifatin minkum nu'aththib taifatan biannahum kanoo mujrimeena (at-Tawbah 9:66)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'बहाने न बनाओ, तुमने अपने ईमान के पश्चात इनकार किया। यदि हम तुम्हारे कुछ लोगों को क्षमा भी कर दें तो भी कुछ लोगों को यातना देकर ही रहेंगे, क्योंकि वे अपराधी हैं।'
English Sahih:
Make no excuse; you have disbelieved [i.e., rejected faith] after your belief. If We pardon one faction of you – We will punish another faction because they were criminals. ([9] At-Tawbah : 66)