يَحْذَرُ الْمُنٰفِقُوْنَ اَنْ تُنَزَّلَ عَلَيْهِمْ سُوْرَةٌ تُنَبِّئُهُمْ بِمَا فِيْ قُلُوْبِهِمْۗ قُلِ اسْتَهْزِءُوْاۚ اِنَّ اللّٰهَ مُخْرِجٌ مَّا تَحْذَرُوْنَ ( التوبة: ٦٤ )
Yahtharu almunafiqoona an tunazzala 'alayhim sooratun tunabbiohum bima fee quloobihim quli istahzioo inna Allaha mukhrijun ma tahtharoona (at-Tawbah 9:64)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
मुनाफ़िक़ (कपटाचारी) डर रहे है कि कहीं उनके बारे में कोई ऐसी सूरा न अवतरित हो जाए जो वह सब कुछ उनपर खोल दे, जो उनके दिलों में है। कह दो, 'मज़ाक़ उड़ा लो, अल्लाह तो उसे प्रकट करके रहेगा, जिसका तुम्हें डर है।'
English Sahih:
The hypocrites are apprehensive lest a Surah be revealed about them, informing them of what is in their hearts. Say, "Mock [as you wish]; indeed, Allah will expose that which you fear." ([9] At-Tawbah : 64)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
जिसमें वह हमेशा (जलता भुनता) रहेगा यही तो बड़ी रूसवाई है मुनाफेक़ीन इस बात से डरतें हैं कि (कहीं ऐसा न हो) इन मुलसमानों पर (रसूल की माअरफ़त) कोई सूरा नाज़िल हो जाए जो उनको जो कुछ उन मुनाफिक़ीन के दिल में है बता दे (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (अच्छा) तुम मसख़रापन किए जाओ