وَلَوْ اَنَّهُمْ رَضُوْا مَآ اٰتٰىهُمُ اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗۙ وَقَالُوْا حَسْبُنَا اللّٰهُ سَيُؤْتِيْنَا اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ وَرَسُوْلُهٗٓ اِنَّآ اِلَى اللّٰهِ رَاغِبُوْنَ ࣖ ( التوبة: ٥٩ )
Walaw annahum radoo ma atahumu Allahu warasooluhu waqaloo hasbuna Allahu sayuteena Allahu min fadlihi warasooluhu inna ila Allahi raghiboona (at-Tawbah 9:59)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यदि अल्लाह और उसके रसूल ने जो कुछ उन्हें दिया था, उसपर वे राज़ी रहते औऱ कहते कि 'हमारे लिए अल्लाह काफ़ी है। अल्लाह हमें जल्द ही अपने अनुग्रह से देगा और उसका रसूल भी। हम तो अल्लाह ही की ओऱ उन्मुख है।' (तो यह उनके लिए अच्छा होता)
English Sahih:
If only they had been satisfied with what Allah and His Messenger gave them and said, "Sufficient for us is Allah; Allah will give us of His bounty, and [so will] His Messenger; indeed, we are desirous toward Allah," [it would have been better for them]. ([9] At-Tawbah : 59)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जो कुछ ख़ुदा ने और उसके रसूल ने उनको अता फरमाया था अगर ये लोग उस पर राज़ी रहते और कहते कि ख़ुदा हमारे वास्ते काफी है (उस वक्त नहीं तो) अनक़रीब ही खुदा हमें अपने फज़ल व करम से उसका रसूल दे ही देगा हम तो यक़ीनन अल्लाह ही की तरफ लौ लगाए बैठे हैं