Skip to main content

وَمِنْهُمْ مَّنْ يَّلْمِزُكَ فِى الصَّدَقٰتِۚ فَاِنْ اُعْطُوْا مِنْهَا رَضُوْا وَاِنْ لَّمْ يُعْطَوْا مِنْهَآ اِذَا هُمْ يَسْخَطُوْنَ   ( التوبة: ٥٨ )

And among them
وَمِنْهُم
और कुछ उनमें से हैं
(is he) who
مَّن
जो
criticizes you
يَلْمِزُكَ
इलज़ाम लगाते हैं आप पर
concerning
فِى
सदक़ात के बारे में
the charities
ٱلصَّدَقَٰتِ
सदक़ात के बारे में
Then if
فَإِنْ
फिर अगर
they are given
أُعْطُوا۟
वो दिए जाऐं
from it
مِنْهَا
उनमें से
they are pleased;
رَضُوا۟
वो राज़ी हो जाते हैं
but if
وَإِن
और अगर
not
لَّمْ
ना
they are given
يُعْطَوْا۟
वो दिए जाऐं
from it
مِنْهَآ
उनमें से
then
إِذَا
तब
they
هُمْ
वो
(are) enraged
يَسْخَطُونَ
वो नाराज़ हो जाते हैं

Waminhum man yalmizuka fee alssadaqati fain o'too minha radoo wain lam yu'taw minha itha hum yaskhatoona (at-Tawbah 9:58)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और उनमें से कुछ लोग सदक़ो के विषय में तुम पर चोटे करते है। किन्तु यदि उन्हें उसमें से दे दिया जाए तो प्रसन्न हो जाएँ और यदि उन्हें उसमें से न दिया गया तो क्या देखोगे कि वे क्रोधित होने लगते है

English Sahih:

And among them are some who criticize you concerning the [distribution of] charities. If they are given from them, they approve; but if they are not given from them, at once they become angry. ([9] At-Tawbah : 58)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) उनमें से कुछ तो ऐसे भी हैं जो तुम्हें ख़ैरात (की तक़सीम) में (ख्वाह मा ख्वाह) इल्ज़ाम देते हैं फिर अगर उनमे से कुछ (माक़ूल मिक़दार(हिस्सा)) दे दिया गया तो खुश हो गए और अगर उनकी मर्ज़ी के मुवाफिक़ उसमें से उन्हें कुछ नहीं दिया गया तो बस फौरन ही बिगड़ बैठे