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فَلَا تُعْجِبْكَ اَمْوَالُهُمْ وَلَآ اَوْلَادُهُمْ ۗاِنَّمَا يُرِيْدُ اللّٰهُ لِيُعَذِّبَهُمْ بِهَا فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا وَتَزْهَقَ اَنْفُسُهُمْ وَهُمْ كٰفِرُوْنَ   ( التوبة: ٥٥ )

So (let) not
فَلَا
पस ना
impress you
تُعْجِبْكَ
ताज्जुब में डालें आपको
their wealth
أَمْوَٰلُهُمْ
माल उनके
and not
وَلَآ
और ना
their children
أَوْلَٰدُهُمْۚ
औलाद उनकी
Only
إِنَّمَا
बेशक
Allah intends
يُرِيدُ
चाहता है
Allah intends
ٱللَّهُ
अल्लाह
to punish them
لِيُعَذِّبَهُم
कि वो अज़ाब दे उन्हें
with it
بِهَا
साथ उनके
in
فِى
ज़िन्दगी में
the life
ٱلْحَيَوٰةِ
ज़िन्दगी में
(of) the world
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
and should depart
وَتَزْهَقَ
और निकलें
their souls
أَنفُسُهُمْ
जानें उनकी
while they
وَهُمْ
इस हाल में कि वो
(are) disbelievers
كَٰفِرُونَ
काफ़िर हों

Fala tu'jibka amwaluhum wala awladuhum innama yureedu Allahu liyu'aththibahum biha fee alhayati alddunya watazhaqa anfusuhum wahum kafiroona (at-Tawbah 9:55)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अतः उनके माल तुम्हें मोहित न करें और न उनकी सन्तान ही। अल्लाह तो बस यह चाहता है कि उनके द्वारा उन्हें सांसारिक जीवन में यातना दे और उनके प्राण इस दशा में निकलें कि वे इनकार करनेवाले ही रहे

English Sahih:

So let not their wealth or their children impress you. Allah only intends to punish them through them in worldly life and that their souls should depart [at death] while they are disbelievers. ([9] At-Tawbah : 55)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम को न तो उनके माल हैरत में डाले और न उनकी औलाद (क्योंकि) ख़ुदा तो ये चाहता है कि उनको आल व माल की वजह से दुनिया की (चन्द रोज़) ज़िन्दगी (ही) में मुबितलाए अज़ाब करे और जब उनकी जानें निकलें तब भी वह काफिर (के काफिर ही) रहें