۞ يٰٓاَيُّهَا الَّذِينَ اٰمَنُوْٓا اِنَّ كَثِيْرًا مِّنَ الْاَحْبَارِ وَالرُّهْبَانِ لَيَأْكُلُوْنَ اَمْوَالَ النَّاسِ بِالْبَاطِلِ وَيَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۗوَالَّذِيْنَ يَكْنِزُوْنَ الذَّهَبَ وَالْفِضَّةَ وَلَا يُنْفِقُوْنَهَا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۙفَبَشِّرْهُمْ بِعَذَابٍ اَلِيْمٍۙ ( التوبة: ٣٤ )
Ya ayyuha allatheena amanoo inna katheeran mina alahbari waalrruhbani layakuloona amwala alnnasi bialbatili wayasuddoona 'an sabeeli Allahi waallatheena yaknizoona alththahaba waalfiddata wala yunfiqoonaha fee sabeeli Allahi fabashshirhum bi'athabin aleemin (at-Tawbah 9:34)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ऐ ईमान लानेवालो! अवश्य ही बहुत-से धर्मज्ञाता और संसार-त्यागी संत ऐसे है जो लोगो को माल नाहक़ खाते है और अल्लाह के मार्ग से रोकते है, और जो लोग सोना और चाँदी एकत्र करके रखते है और उन्हें अल्लाह के मार्ग में ख़र्च नहीं करते, उन्हें दुखद यातना की शुभ-सूचना दे दो
English Sahih:
O you who have believed, indeed many of the scholars and the monks devour the wealth of people unjustly and avert [them] from the way of Allah. And those who hoard gold and silver and spend it not in the way of Allah – give them tidings of a painful punishment. ([9] At-Tawbah : 34)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ऐ ईमानदारों इसमें उसमें शक़ नहीं कि (यहूद व नसारा के) बहुतेरे आलिम ज़ाहिद लोगों के माल (नाहक़) चख जाते है और (लोगों को) ख़ुदा की राह से रोकते हैं और जो लोग सोना और चाँदी जमा करते जाते हैं और उसको ख़ुदा की राह में खर्च नहीं करते तो (ऐ रसूल) उन को दर्दनाक अज़ाब की ख़ुशखबरी सुना दो