وَاَذَانٌ مِّنَ اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖٓ اِلَى النَّاسِ يَوْمَ الْحَجِّ الْاَكْبَرِ اَنَّ اللّٰهَ بَرِيْۤءٌ مِّنَ الْمُشْرِكِيْنَ ەۙ وَرَسُوْلُهٗ ۗفَاِنْ تُبْتُمْ فَهُوَ خَيْرٌ لَّكُمْۚ وَاِنْ تَوَلَّيْتُمْ فَاعْلَمُوْٓا اَنَّكُمْ غَيْرُ مُعْجِزِى اللّٰهِ ۗوَبَشِّرِ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِعَذَابٍ اَلِيْمٍۙ ( التوبة: ٣ )
Waathanun mina Allahi warasoolihi ila alnnasi yawma alhajji alakbari anna Allaha bareeon mina almushrikeena warasooluhu fain tubtum fahuwa khayrun lakum wain tawallaytum fai'lamoo annakum ghayru mu'jizee Allahi wabashshiri allatheena kafaroo bi'athabin aleemin (at-Tawbah 9:3)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
सार्वजनिक उद्घॊषणा है अल्लाह और उसके रसूल की ओर से, बड़े हज के दिन लोगों के लिए, कि 'अल्लाह मुशरिकों के प्रति जिम्मेदार से बरी है और उसका रसूल भी। अब यदि तुम तौबा कर लो, तो यह तुम्हारे ही लिए अच्छा है, किन्तु यदि तुम मुह मोड़ते हो, तो जान लो कि तुम अल्लाह के क़ाबू से बाहर नहीं जा सकते।' और इनकार करनेवालों के लिए एक दुखद यातना की शुभ-सूचना दे दो
English Sahih:
And [it is] an announcement from Allah and His Messenger to the people on the day of the greater pilgrimage that Allah is disassociated from the disbelievers, and [so is] His Messenger. So if you repent, that is best for you; but if you turn away – then know that you will not cause failure to Allah. And give tidings to those who disbelieve of a painful punishment. ([9] At-Tawbah : 3)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और ख़ुदा और उसके रसूल की तरफ से हज अकबर के दिन (तुम) लोगों को मुनादी की जाती है कि ख़ुदा और उसका रसूल मुशरिकों से बेज़ार (और अलग) है तो (मुशरिकों) अगर तुम लोगों ने (अब भी) तौबा की तो तुम्हारे हक़ में यही बेहतर है और अगर तुम लोगों ने (इससे भी) मुंह मोड़ा तो समझ लो कि तुम लोग ख़ुदा को हरगिज़ आजिज़ नहीं कर सकते और जिन लोगों ने कुफ्र इख्तेयार किया उनको दर्दनाक अज़ाब की ख़ुश ख़बरी दे दो