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قَاتِلُوا الَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَلَا بِالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَلَا يُحَرِّمُوْنَ مَا حَرَّمَ اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗ وَلَا يَدِيْنُوْنَ دِيْنَ الْحَقِّ مِنَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ حَتّٰى يُعْطُوا الْجِزْيَةَ عَنْ يَّدٍ وَّهُمْ صَاغِرُوْنَ ࣖ  ( التوبة: ٢٩ )

Fight
قَٰتِلُوا۟
जंग करो
those who
ٱلَّذِينَ
उनसे जो
(do) not
لَا
नहीं
believe
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान रखते
in Allah
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
and not
وَلَا
और ना
in the Day
بِٱلْيَوْمِ
आख़िरी दिन पर
the Last
ٱلْءَاخِرِ
आख़िरी दिन पर
and not
وَلَا
और नहीं
they make unlawful
يُحَرِّمُونَ
वो हराम समझते
what
مَا
जो
Allah has made unlawful
حَرَّمَ
हराम किया
Allah has made unlawful
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
and His Messenger
وَرَسُولُهُۥ
और उसके रसूल ने
and not
وَلَا
और नहीं
they acknowledge
يَدِينُونَ
वो दीन बनाते
(the) religion
دِينَ
दीने
(of) the truth
ٱلْحَقِّ
हक़ को
from
مِنَ
उनमें से जो
those who
ٱلَّذِينَ
उनमें से जो
were given
أُوتُوا۟
दिए गए
the Scripture
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
until
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
they pay
يُعْطُوا۟
वो दे दें
the jizyah
ٱلْجِزْيَةَ
जिज़या
willingly
عَن
हाथ से
willingly
يَدٍ
हाथ से
while they
وَهُمْ
इस हाल में कि वो
(are) subdued
صَٰغِرُونَ
ज़लील हों

Qatiloo allatheena la yuminoona biAllahi wala bialyawmi alakhiri wala yuharrimoona ma harrama Allahu warasooluhu wala yadeenoona deena alhaqqi mina allatheena ootoo alkitaba hatta yu'too aljizyata 'an yadin wahum saghiroona (at-Tawbah 9:29)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

वे किताबवाले जो न अल्लाह पर ईमान रखते है और न अन्तिम दिन पर और न अल्लाह और उसके रसूल के हराम ठहराए हुए को हराम ठहराते है और न सत्यधर्म का अनुपालन करते है, उनसे लड़ो, यहाँ तक कि वे सत्ता से विलग होकर और छोटे (अधीनस्थ) बनकर जिज़्या देने लगे

English Sahih:

Fight against those who do not believe in Allah or in the Last Day and who do not consider unlawful what Allah and His Messenger have made unlawful and who do not adopt the religion of truth [i.e., IsLam] from those who were given the Scripture – [fight] until they give the jizyah willingly while they are humbled. ([9] At-Tawbah : 29)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

अहले किताब में से जो लोग न तो (दिल से) ख़ुदा ही पर ईमान रखते हैं और न रोज़े आख़िरत पर और न ख़ुदा और उसके रसूल की हराम की हुई चीज़ों को हराम समझते हैं और न सच्चे दीन ही को एख्तियार करते हैं उन लोगों से लड़े जाओ यहाँ तक कि वह लोग ज़लील होकर (अपने) हाथ से जज़िया दे