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مَا كَانَ لِلْمُشْرِكِيْنَ اَنْ يَّعْمُرُوْا مَسٰجِدَ اللّٰهِ شٰهِدِيْنَ عَلٰٓى اَنْفُسِهِمْ بِالْكُفْرِۗ اُولٰۤىِٕكَ حَبِطَتْ اَعْمَالُهُمْۚ وَ فِى النَّارِ هُمْ خٰلِدُوْنَ   ( التوبة: ١٧ )

(It) is not
مَا
नहीं
(It) is not
كَانَ
है
for the polytheists
لِلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकीन के लिए
that
أَن
कि
they maintain
يَعْمُرُوا۟
वो आबाद करें
(the) masajid of Allah
مَسَٰجِدَ
मस्जिदें
(the) masajid of Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की
(while) witnessing
شَٰهِدِينَ
शहादत देने वाले
against
عَلَىٰٓ
अपने नफ़्सों पर
themselves
أَنفُسِهِم
अपने नफ़्सों पर
[with] disbelief
بِٱلْكُفْرِۚ
कुफ़्र की
(For) those
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
worthless
حَبِطَتْ
ज़ाया हो गए
(are) their deeds
أَعْمَٰلُهُمْ
आमाल उनके
and in
وَفِى
और आग में
the Fire
ٱلنَّارِ
और आग में
they
هُمْ
वो
(will) abide forever
خَٰلِدُونَ
हमेशा रहने वाले हैं

Ma kana lilmushrikeena an ya'muroo masajida Allahi shahideena 'ala anfusihim bialkufri olaika habitat a'maluhum wafee alnnari hum khalidoona (at-Tawbah 9:17)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यह मुशरिकों का काम नहीं कि वे अल्लाह की मस्जिदों को आबाद करें और उसके प्रबंधक हों, जबकि वे स्वयं अपने विरुद्ध कुफ़्र की गवाही दे रहे है। उन लोगों का सारा किया-धरा अकारथ गया और वे आग में सदैव रहेंगे

English Sahih:

It is not for the polytheists to maintain the mosques of Allah [while] witnessing against themselves with disbelief. [For] those, their deeds have become worthless, and in the Fire they will abide eternally. ([9] At-Tawbah : 17)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

मुशरेकीन का ये काम नहीं कि जब वह अपने कुफ़्र का ख़ुद इक़रार करते है तो ख़ुदा की मस्जिदों को (जाकर) आबाद करे यही वह लोग हैं जिनका किया कराया सब अकारत हुआ और ये लोग हमेशा जहन्नुम में रहेंगे