فَاِنْ تَوَلَّوْا فَقُلْ حَسْبِيَ اللّٰهُ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۗ عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ وَهُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيْمِ ࣖ ( التوبة: ١٢٩ )
But if
فَإِن
फिर अगर
they turn away
تَوَلَّوْا۟
वो मुँह मोड़ें
then say
فَقُلْ
तो कह दीजिए
"Sufficient for me
حَسْبِىَ
काफ़ी है मुझे
(is) Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
(There is) no
لَآ
नहीं
god
إِلَٰهَ
कोई इलाह (बरहक़)
except
إِلَّا
मगर
Him
هُوَۖ
वो ही
On Him
عَلَيْهِ
इसी पर
I put my trust
تَوَكَّلْتُۖ
भरोसा किया मैंने
And He
وَهُوَ
और वो
(is the) Lord
رَبُّ
रब है
(of) the Throne
ٱلْعَرْشِ
अर्शे
the Great"
ٱلْعَظِيمِ
अज़ीम का
Fain tawallaw faqul hasbiya Allahu la ilaha illa huwa 'alayhi tawakkaltu wahuwa rabbu al'arshi al'atheemi (at-Tawbah 9:129)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अब यदि वे मुँह मोड़े तो कह दो, 'मेरे लिए अल्लाह काफ़ी है, उसके अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं! उसी पर मैंने भऱोसा किया और वही बड़े सिंहासन का प्रभु है।'
English Sahih:
But if they turn away, [O Muhammad], say, "Sufficient for me is Allah; there is no deity except Him. On Him I have relied, and He is the Lord of the Great Throne." ([9] At-Tawbah : 129)