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وَلَا يُنْفِقُوْنَ نَفَقَةً صَغِيْرَةً وَّلَا كَبِيْرَةً وَّلَا يَقْطَعُوْنَ وَادِيًا اِلَّا كُتِبَ لَهُمْ لِيَجْزِيَهُمُ اللّٰهُ اَحْسَنَ مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ   ( التوبة: ١٢١ )

And not
وَلَا
और नहीं
they spend
يُنفِقُونَ
वो ख़र्च करते
any spending
نَفَقَةً
कोई ख़र्च करना
small
صَغِيرَةً
छोटा
and not
وَلَا
और ना
big
كَبِيرَةً
बड़ा
and not
وَلَا
और नहीं
they cross
يَقْطَعُونَ
वो तय करते
a valley
وَادِيًا
कोई वादी
but
إِلَّا
मगर
is recorded
كُتِبَ
लिखा जाता है (अजर)
for them
لَهُمْ
उनके लिए
that Allah may reward them
لِيَجْزِيَهُمُ
ताकि बदला दे उन्हें
that Allah may reward them
ٱللَّهُ
अल्लाह
the best
أَحْسَنَ
बहुत अच्छा
(of) what
مَا
उसका जो
they used (to)
كَانُوا۟
थे वो
do
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते

Wala yunfiqoona nafaqatan sagheeratan wala kabeeratan wala yaqta'oona wadiyan illa kutiba lahum liyajziyahumu Allahu ahsana ma kanoo ya'maloona (at-Tawbah 9:121)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और वे थो़ड़ा या ज़्यादा जो कुछ भी ख़र्च करें या (अल्लाह के मार्ग में) कोई घाटी पार करें, उनके हक़ में अनिवार्यतः लिख लिया जाता है, ताकि अल्लाह उन्हें उनके अच्छे कर्मों का बदला प्रदान करे

English Sahih:

Nor do they spend an expenditure, small or large, or cross a valley but that it is registered for them that Allah may reward them for the best of what they were doing. ([9] At-Tawbah : 121)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और ये लोग (ख़ुदा की राह में) थोड़ा या बहुत माल नहीं खर्च करते और किसी मैदान को नहीं क़तआ करते मगर फौरन (उनके नामाए अमल में) उनके नाम लिख दिया जाता है ताकि ख़ुदा उनकी कारगुज़ारियों का उन्हें अच्छे से अच्छा बदला अता फरमाए