Baraatun mina Allahi warasoolihi ila allatheena 'ahadtum mina almushrikeena
मुशरिकों (बहुदेववादियों) से जिनसे तुमने संधि की थी, विरक्ति (की उद्घॊषणा) है अल्लाह और उसके रसूल की ओर से
Faseehoo fee alardi arba'ata ashhurin wai'lamoo annakum ghayru mu'jizee Allahi waanna Allaha mukhzee alkafireena
'अतः इस धरती में चार महीने और चल-फिर लो और यह बात जान लो कि अल्लाह के क़ाबू से बाहर नहीं जा सकते और यह कि अल्लाह इनकार करनेवालों को अपमानित करता है।'
Waathanun mina Allahi warasoolihi ila alnnasi yawma alhajji alakbari anna Allaha bareeon mina almushrikeena warasooluhu fain tubtum fahuwa khayrun lakum wain tawallaytum fai'lamoo annakum ghayru mu'jizee Allahi wabashshiri allatheena kafaroo bi'athabin aleemin
सार्वजनिक उद्घॊषणा है अल्लाह और उसके रसूल की ओर से, बड़े हज के दिन लोगों के लिए, कि 'अल्लाह मुशरिकों के प्रति जिम्मेदार से बरी है और उसका रसूल भी। अब यदि तुम तौबा कर लो, तो यह तुम्हारे ही लिए अच्छा है, किन्तु यदि तुम मुह मोड़ते हो, तो जान लो कि तुम अल्लाह के क़ाबू से बाहर नहीं जा सकते।' और इनकार करनेवालों के लिए एक दुखद यातना की शुभ-सूचना दे दो
Illa allatheena 'ahadtum mina almushrikeena thumma lam yanqusookum shayan walam yuthahiroo 'alaykum ahadan faatimmoo ilayhim 'ahdahum ila muddatihim inna Allaha yuhibbu almuttaqeena
सिवाय उन मुशरिकों के जिनसे तुमने संधि-समझौते किए, फिर उन्होंने तुम्हारे साथ अपने वचन को पूर्ण करने में कोई कमी नही की और न तुम्हारे विरुद्ध किसी की सहायता ही की, तो उनके साथ उनकी संधि को उन लोगों के निर्धारित समय तक पूरा करो। निश्चय ही अल्लाह को डर रखनेवाले प्रिय है
Faitha insalakha alashhuru alhurumu faoqtuloo almushrikeena haythu wajadtumoohum wakhuthoohum waohsuroohum waoq'udoo lahum kulla marsadin fain taboo waaqamoo alssalata waatawoo alzzakata fakhalloo sabeelahum inna Allaha ghafoorun raheemun
फिर, जब हराम (प्रतिष्ठित) महीने बीत जाएँ तो मुशरिकों को जहाँ कहीं पाओ क़त्ल करो, उन्हें पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। फिर यदि वे तौबा कर लें और नमाज़ क़ायम करें और ज़कात दें तो उनका मार्ग छोड़ दो, निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है
Wain ahadun mina almushrikeena istajaraka faajirhu hatta yasma'a kalama Allahi thumma ablighhu mamanahu thalika biannahum qawmun la ya'lamoona
और यदि मुशरिकों में से कोई तुमसे शरण माँगे, तो तुम उसे शरण दे दो, यहाँ तक कि वह अल्लाह की वाणी सुन ले। फिर उसे उसके सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दो, क्योंकि वे ऐसे लोग हैं, जिन्हें ज्ञान नहीं
Kayfa yakoonu lilmushrikeena 'ahdun 'inda Allahi wa'inda rasoolihi illa allatheena 'ahadtum 'inda almasjidi alharami fama istaqamoo lakum faistaqeemoo lahum inna Allaha yuhibbu almuttaqeena
इन मुशरिकों को किसी संधि की कोई ज़िम्मेदारी अल्लाह और उसके रसूल पर कैसे बाक़ी रह सकती है? - उन लोगों का मामला इससे अलग है, जिनसे तुमने मस्जिदे हराम (काबा) के पास संधि की थी, तो जब तक वे तुम्हारे साथ सीधे रहें, तब तक तुम भी उनके साथ सीधे रहो। निश्चय ही अल्लाह को डर रखनेवाले प्रिय है। -
Kayfa wain yathharoo 'alaykum la yarquboo feekum illan wala thimmatan yurdoonakum biafwahihim wataba quloobuhum waaktharuhum fasiqoona
कैसे बाक़ी रह सकती है? जबकि उनका हाल यह है कि यदि वे तुम्हें दबा पाएँ तो वे न तुम्हारे विषय में किसी नाते-रिश्ते का ख़याल रखें औऱ न किसी अभिवचन का। वे अपने मुँह ही से तुम्हें राज़ी करते है, किन्तु उनके दिल इनकार करते रहते है और उनमें अधिकतर अवज्ञाकारी है
Ishtaraw biayati Allahi thamanan qaleelan fasaddoo 'an sabeelihi innahum saa ma kanoo ya'maloona
उन्होंने अल्लाह की आयतों के बदले थोड़ा-सा मूल्य स्वीकार किया और इस प्रकार वे उसका मार्ग अपनाने से रूक गए। निश्चय ही बहुत बुरा है, जो कुछ वे कर रहे हैं
La yarquboona fee muminin illan wala thimmatan waolaika humu almu'tadoona
किसी मोमिन के बारे में न तो नाते-रिश्ते का ख़याल रखते है और न किसी अभिवचन का। वही लोग है जिन्होंने सीमा का उल्लंघन किया
القرآن الكريم: | التوبة |
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आयत सजदा (سجدة): | - |
सूरा (latin): | At-Taubah |
सूरा: | 9 |
कुल आयत: | 129 |
कुल शब्द: | 4078 |
कुल वर्ण: | 10084 |
रुकु: | 16 |
वर्गीकरण: | मदीनन सूरा |
Revelation Order: | 113 |
से शुरू आयत: | 1235 |