فَاَمَّا الْاِنْسَانُ اِذَا مَا ابْتَلٰىهُ رَبُّهٗ فَاَكْرَمَهٗ وَنَعَّمَهٗۙ فَيَقُوْلُ رَبِّيْٓ اَكْرَمَنِۗ ( الفجر: ١٥ )
And as for
فَأَمَّا
तो रहा
man
ٱلْإِنسَٰنُ
इन्सान
when
إِذَا
जब
does
مَا
जब
try him
ٱبْتَلَىٰهُ
आज़माता है उसे
his Lord
رَبُّهُۥ
रब उसका
and is generous to him
فَأَكْرَمَهُۥ
फिर वो इज़्ज़त देता है उसे
and favors him
وَنَعَّمَهُۥ
और वो नेअमत देता है उसे
he says
فَيَقُولُ
तो वो कहता है
"My Lord
رَبِّىٓ
मेरे रब ने
has honored me"
أَكْرَمَنِ
इज़्ज़त दी मुझे
Faamma alinsanu itha ma ibtalahu rabbuhu faakramahu wana''amahu fayaqoolu rabbee akramani (al-Fajr 89:15)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
किन्तु मनुष्य का हाल यह है कि जब उसका रब इस प्रकार उसकी परीक्षा करता है कि उसे प्रतिष्ठा और नेमत प्रदान करता है, तो वह कहता है, 'मेरे रब ने मुझे प्रतिष्ठित किया।'
English Sahih:
And as for man, when his Lord tries him and [thus] is generous to him and favors him, he says, "My Lord has honored me." ([89] Al-Fajr : 15)