اِنَّ الَّذِيْنَ فَتَنُوا الْمُؤْمِنِيْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ ثُمَّ لَمْ يَتُوْبُوْا فَلَهُمْ عَذَابُ جَهَنَّمَ وَلَهُمْ عَذَابُ الْحَرِيْقِۗ ( البروج: ١٠ )
Indeed
إِنَّ
बेशक
those who
ٱلَّذِينَ
वो लोग जिन्होंने
persecuted
فَتَنُوا۟
आज़माइश में डाला
the believing men
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिन मर्दों को
and the believing women
وَٱلْمُؤْمِنَٰتِ
और मोमिन औरतों को
then
ثُمَّ
फिर
not
لَمْ
ना
they repented
يَتُوبُوا۟
उन्होंने तौबा की
then for them
فَلَهُمْ
तो उनके लिए
(is) the punishment
عَذَابُ
अज़ाब है
(of) Hell
جَهَنَّمَ
जहन्नम का
and for them
وَلَهُمْ
और उनके लिए
(is the) punishment
عَذَابُ
अज़ाब है
(of) the Burning Fire
ٱلْحَرِيقِ
जलने का
Inna allatheena fatanoo almumineena waalmuminati thumma lam yatooboo falahum 'athabu jahannama walahum 'athabu alhareeqi (al-Burūj 85:10)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिन लोगों ने ईमानवाले पुरुषों और ईमानवाली स्त्रियों को सताया और आज़माईश में डाला, फिर तौबा न की, निश्चय ही उनके लिए जहन्नम की यातना है और उनके लिए जलने की यातना है
English Sahih:
Indeed, those who have tortured the believing men and believing women and then have not repented will have the punishment of Hell, and they will have the punishment of the Burning Fire. ([85] Al-Buruj : 10)