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اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُؤْمِنُوْنَ حَقًّاۗ لَهُمْ دَرَجٰتٌ عِنْدَ رَبِّهِمْ وَمَغْفِرَةٌ وَّرِزْقٌ كَرِيْمٌۚ   ( الأنفال: ٤ )

Those -
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
they are
هُمُ
वो
the believers
ٱلْمُؤْمِنُونَ
जो मोमिन हैं
(in) truth
حَقًّاۚ
सच्चे
For them
لَّهُمْ
उनके लिए
(are) ranks
دَرَجَٰتٌ
दर्जे हैं
with
عِندَ
उनके रब के पास
their Lord
رَبِّهِمْ
उनके रब के पास
and forgiveness
وَمَغْفِرَةٌ
और बख़्शिश
and a provision
وَرِزْقٌ
और रिज़्क़ है
noble
كَرِيمٌ
इज़्ज़त वाला

Olaika humu almuminoona haqqan lahum darajatun 'inda rabbihim wamaghfiratun warizqun kareemun (al-ʾAnfāl 8:4)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

वही लोग वास्तव में ईमानवाले है। उनके लिेए रब के पास बड़े दर्जे है और क्षमा और सम्मानित उत्तम आजीविका भी

English Sahih:

Those are the believers, truly. For them are degrees [of high position] with their Lord and forgiveness and noble provision. ([8] Al-Anfal : 4)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

यही तो सच्चे ईमानदार हैं उन्हीं के लिए उनके परवरदिगार के हॉ (बड़े बड़े) दरजे हैं और बख्शिश और इज्ज़त और आबरू के साथ रोज़ी है (ये माले ग़नीमत का झगड़ा वैसा ही है)