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قُلْ لِّلَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اِنْ يَّنْتَهُوْا يُغْفَرْ لَهُمْ مَّا قَدْ سَلَفَۚ وَاِنْ يَّعُوْدُوْا فَقَدْ مَضَتْ سُنَّتُ الْاَوَّلِيْنَ  ( الأنفال: ٣٨ )

Say
قُل
कह दीजिए
to those who
لِّلَّذِينَ
उनके लिए जिन्होंने
disbelieve
كَفَرُوٓا۟
कुफ़्र किया
if
إِن
अगर
they cease
يَنتَهُوا۟
वो बाज़ आ जाऐं
will be forgiven
يُغْفَرْ
बख़्श दिया जाएगा
for them
لَهُم
उनके लिए
what
مَّا
जो
[verily]
قَدْ
तहक़ीक़
(is) past
سَلَفَ
पहले हो गया
But if
وَإِن
और अगर
they return
يَعُودُوا۟
वो पलटेंगे
then verily
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
preceded
مَضَتْ
गुज़र चुकी
(the) practice
سُنَّتُ
सुन्नत
(of) the former (people)
ٱلْأَوَّلِينَ
पहलों की (तरीक़ा)

Qul lillatheena kafaroo in yantahoo yughfar lahum ma qad salafa wain ya'oodoo faqad madat sunnatu alawwaleena (al-ʾAnfāl 8:38)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उन इनकार करनेवालो से कह दो कि वे यदि बाज़ आ जाएँ तो जो कुछ हो चुका, उसे क्षमा कर दिया जाएगा, किन्तु यदि वे फिर भी वहीं करेंगे तो पूर्ववर्ती लोगों के सिलसिले में जो रीति अपनाई गई वह सामने से गुज़र चुकी है

English Sahih:

Say to those who have disbelieved [that] if they cease, what has previously occurred will be forgiven for them. But if they return [to hostility] – then the precedent of the former [rebellious] peoples has already taken place. ([8] Al-Anfal : 38)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम काफिरों से कह दो कि अगर वह लोग (अब भी अपनी शरारत से) बाज़ रहें तो उनके पिछले कुसूर माफ कर दिए जाएं और अगर फिर कहीं पलटें तो यक़ीनन अगलों के तरीक़े गुज़र चुके जो, उनकी सज़ा हुई वही इनकी भी होगी