وَمَنْ يُّوَلِّهِمْ يَوْمَىِٕذٍ دُبُرَهٗٓ اِلَّا مُتَحَرِّفًا لِّقِتَالٍ اَوْ مُتَحَيِّزًا اِلٰى فِئَةٍ فَقَدْ بَاۤءَ بِغَضَبٍ مِّنَ اللّٰهِ وَمَأْوٰىهُ جَهَنَّمُ ۗ وَبِئْسَ الْمَصِيْرُ ( الأنفال: ١٦ )
Waman yuwallihim yawmaithin duburahu illa mutaharrifan liqitalin aw mutahayyizan ila fiatin faqad baa bighadabin mina Allahi wamawahu jahannamu wabisa almaseeru (al-ʾAnfāl 8:16)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिस किसी ने भी उस दिन उनसे अपनी पीठ फेरी - यह और बात है कि युद्ध-चाल के रूप में या दूसरी टुकड़ी से मिलने के लिए ऐसा करे - तो वह अल्लाह के प्रकोप का भागी हुआ और उसका ठिकाना जहन्नम है, और क्या ही बुरा जगह है वह पहुँचने की!
English Sahih:
And whoever turns his back to them on such a day, unless swerving [as a strategy] for war or joining [another] company, has certainly returned with anger [upon him] from Allah, and his refuge is Hell – and wretched is the destination. ([8] Al-Anfal : 16)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(याद रहे कि) उस शख़्स के सिवा जो लड़ाई वास्ते कतराए या किसी जमाअत के पास (जाकर) मौके पाए (और) जो शख़्स भी उस दिन उन कुफ्फ़ार की तरफ पीठ फेरेगा वह यक़ीनी (हिर फिर के) ख़ुदा के ग़जब में आ गया और उसका ठिकाना जहन्नुम ही हैं और वह क्या बुरा ठिकाना है