رَبِّ اغْفِرْ لِيْ وَلِوَالِدَيَّ وَلِمَنْ دَخَلَ بَيْتِيَ مُؤْمِنًا وَّلِلْمُؤْمِنِيْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِۗ وَلَا تَزِدِ الظّٰلِمِيْنَ اِلَّا تَبَارًا ࣖ ( نوح: ٢٨ )
My Lord!
رَّبِّ
ऐ मेरे रब
Forgive
ٱغْفِرْ
बख़्श दे
me
لِى
मुझे
and my parents
وَلِوَٰلِدَىَّ
और मेरे वालिदैन को
and whoever
وَلِمَن
और उसे भी जो
enters
دَخَلَ
दाख़िल हो
my house -
بَيْتِىَ
मेरे घर में
a believer
مُؤْمِنًا
ईमान लाकर
and believing men
وَلِلْمُؤْمِنِينَ
और मोमिन मर्दों को
and believing women
وَٱلْمُؤْمِنَٰتِ
और मोमिन औरतों को
And (do) not
وَلَا
और ना
increase
تَزِدِ
तू ज़्यादा कर
the wrongdoers
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों को
except
إِلَّا
मगर
(in) destruction"
تَبَارًۢا
हलाकत में
Rabbi ighfir lee waliwalidayya waliman dakhala baytiya muminan walilmumineena waalmuminati wala tazidi alththalimeena illa tabaran (Nūḥ 71:28)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'ऐ मेरे रब! मुझे क्षमा कर दे और मेरे माँ-बाप को भी और हर उस व्यक्ति को भी जो मेरे घर में ईमानवाला बन कर दाख़िल हुआ और (सामान्य) ईमानवाले पुरुषों और ईमानवाली स्त्रियों को भी (क्षमा कर दे), और ज़ालिमों के विनाश को ही बढ़ा।'
English Sahih:
My Lord, forgive me and my parents and whoever enters my house a believer and the believing men and believing women. And do not increase the wrongdoers except in destruction." ([71] Nuh : 28)