قَالَ قَدْ وَقَعَ عَلَيْكُمْ مِّنْ رَّبِّكُمْ رِجْسٌ وَّغَضَبٌۗ اَتُجَادِلُوْنَنِيْ فِيْٓ اَسْمَاۤءٍ سَمَّيْتُمُوْهَآ اَنْتُمْ وَاٰبَاۤؤُكُمْ مَّا نَزَّلَ اللّٰهُ بِهَا مِنْ سُلْطٰنٍۗ فَانْتَظِرُوْٓا اِنِّيْ مَعَكُمْ مِّنَ الْمُنْتَظِرِيْنَ ( الأعراف: ٧١ )
Qala qad waqa'a 'alaykum min rabbikum rijsun waghadabun atujadiloonanee fee asmain sammaytumooha antum waabaokum ma nazzala Allahu biha min sultanin faintathiroo innee ma'akum mina almuntathireena (al-ʾAʿrāf 7:71)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उसने कहा, 'तुम पर तो तुम्हारे रब की ओर से नापाकी थोप दी गई है और प्रकोप टूट पड़ा है। क्या तुम मुझसे उन नामों के लिए झगड़ते हो जो तुमने और तुम्हारे बाप-दादा ने रख छोड़े है, जिनके लिए अल्लाह ने कोई प्रमाण नहीं उतारा? अच्छा, तो तुम भी प्रतीक्षा करो, मैं भी तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करता हूँ।'
English Sahih:
[Hud] said, "Already have defilement and anger fallen upon you from your Lord. Do you dispute with me concerning [mere] names you have named them, you and your fathers, for which Allah has not sent down any authority? Then wait; indeed, I am with you among those who wait." ([7] Al-A'raf : 71)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
हूद ने जवाब दिया (कि बस समझ लो) कि तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम पर अज़ाब और ग़ज़ब नाज़िल हो चुका क्या तुम मुझसे चन्द (बुतो के फर्ज़ी) नामों के बारे में झगड़ते हो जिनको तुमने और तुम्हारे बाप दादाओं ने (ख्वाहमख्वाह) गढ़ लिए हैं हालाकि ख़ुदा ने उनके लिए कोई सनद नहीं नाज़िल की पस तुम ( अज़ाबे ख़ुदा का) इन्तज़ार करो मैं भी तुम्हारे साथ मुन्तिज़र हूँ