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اُبَلِّغُكُمْ رِسٰلٰتِ رَبِّيْ وَاَنْصَحُ لَكُمْ وَاَعْلَمُ مِنَ اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ   ( الأعراف: ٦٢ )

I convey to you
أُبَلِّغُكُمْ
मैं पहुँचाता हूँ तुम्हें
the Messages
رِسَٰلَٰتِ
पैग़ामात
(of) my Lord
رَبِّى
अपने रब के
and [I] advise
وَأَنصَحُ
और मैं ख़ैरख़्वाही करता हूँ
[to] you
لَكُمْ
तुम्हारी
and I know
وَأَعْلَمُ
और मैं जानता हूँ
from
مِنَ
अल्लाह की तरफ़ से
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
what
مَا
जो
not
لَا
नहीं तुम जानते
you know
تَعْلَمُونَ
नहीं तुम जानते

Oballighukum risalati rabbee waansahu lakum waa'lamu mina Allahi ma la ta'lamoona (al-ʾAʿrāf 7:62)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

'अपने रब के सन्देश पहुँचता हूँ और तुम्हारा हित चाहता हूँ, और मैं अल्लाह की ओर से वह कुछ जानता हूँ, जो तुम नहीं जानते।'

English Sahih:

I convey to you the messages of my Lord and advise you; and I know from Allah what you do not know. ([7] Al-A'raf : 62)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तुम तक अपने परवरदिगार के पैग़ामात पहुचाएं देता हूँ और तुम्हारे लिए तुम्हारी ख़ैर ख्वाही करता हूँ और ख़ुदा की तरफ से जो बातें मै जानता हूँ तुम नहीं जानते