اُدْعُوْا رَبَّكُمْ تَضَرُّعًا وَّخُفْيَةً ۗاِنَّهٗ لَا يُحِبُّ الْمُعْتَدِيْنَۚ ( الأعراف: ٥٥ )
Call upon
ٱدْعُوا۟
पुकारो
your Lord
رَبَّكُمْ
अपने रब को
humbly
تَضَرُّعًا
आजिज़ी से
and privately
وَخُفْيَةًۚ
और चुपके-चुपके
Indeed He
إِنَّهُۥ
बेशक वो
(does) not
لَا
नहीं वो पसंद करता
love
يُحِبُّ
नहीं वो पसंद करता
the transgressors
ٱلْمُعْتَدِينَ
हद से तजावुज़ करने वालों को
Od'oo rabbakum tadarru'an wakhufyatan innahu la yuhibbu almu'tadeena (al-ʾAʿrāf 7:55)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अपने रब को गिड़गिड़ाकर और चुपके-चुपके पुकारो। निश्चय ही वह हद से आगे बढ़नेवालों को पसन्द नहीं करता
English Sahih:
Call upon your Lord in humility and privately; indeed, He does not like transgressors. ([7] Al-A'raf : 55)