هَلْ يَنْظُرُوْنَ اِلَّا تَأْوِيْلَهٗۗ يَوْمَ يَأْتِيْ تَأْوِيْلُهٗ يَقُوْلُ الَّذِيْنَ نَسُوْهُ مِنْ قَبْلُ قَدْ جَاۤءَتْ رُسُلُ رَبِّنَا بِالْحَقِّۚ فَهَلْ لَّنَا مِنْ شُفَعَاۤءَ فَيَشْفَعُوْا لَنَآ اَوْ نُرَدُّ فَنَعْمَلَ غَيْرَ الَّذِيْ كُنَّا نَعْمَلُۗ قَدْ خَسِرُوْٓا اَنْفُسَهُمْ وَضَلَّ عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا يَفْتَرُوْنَ ࣖ ( الأعراف: ٥٣ )
Hal yanthuroona illa taweelahu yawma yatee taweeluhu yaqoolu allatheena nasoohu min qablu qad jaat rusulu rabbina bialhaqqi fahal lana min shufa'aa fayashfa'oo lana aw nuraddu fana'mala ghayra allathee kunna na'malu qad khasiroo anfusahum wadalla 'anhum ma kanoo yaftaroona (al-ʾAʿrāf 7:53)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
क्या वे लोग केवल इसी की प्रतीक्षा में है कि उसकी वास्तविकता और परिणाम प्रकट हो जाए? जिस दिन उसकी वास्तविकता सामने आ जाएगी, तो वे लोग इससे पहले उसे भूले हुए थे, बोल उठेंगे, 'वास्तव में, हमारे रब के रसूल सत्य लेकर आए थे। तो क्या हमारे कुछ सिफ़ारिशी है, जो हमारी सिफ़ारिश कर दें या हमें वापस भेज दिया जाए कि जो कुछ हम करते थे उससे भिन्न कर्म करें?' उन्होंने अपने आपको घाटे में डाल दिया और जो कुछ वे झूठ घढ़ते थे, वे सब उनसे गुम होकर रह गए
English Sahih:
Do they await except its result? The Day its result comes, those who had ignored it before will say, "The messengers of our Lord had come with the truth, so are there [now] any intercessors to intercede for us or could we be sent back to do other than what we used to do?" They will have lost themselves, and lost from them is what they used to invent. ([7] Al-A'raf : 53)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
जिसे हर तरह समझ बूझ के तफसीलदार बयान कर दिया है (और वह) ईमानदार लोगों के लिए हिदायत और रहमत है क्या ये लोग बस सिर्फ अन्जाम (क़यामत ही) के मुन्तज़िर है (हालांकि) जिस दिन उसके अन्जाम का (वक्त) आ जाएगा तो जो लोग उसके पहले भूले बैठे थे (बेसाख्ता) बोल उठेगें कि बेशक हमारे परवरदिगार के सब रसूल हक़ लेकर आये थे तो क्या उस वक्त हमारी भी सिफरिश करने वाले हैं जो हमारी सिफारिश करें या हम फिर (दुनिया में) लौटाएं जाएं तो जो जो काम हम करते थे उसको छोड़कर दूसरें काम करें