Skip to main content

وَلَقَدْ جِئْنٰهُمْ بِكِتٰبٍ فَصَّلْنٰهُ عَلٰى عِلْمٍ هُدًى وَّرَحْمَةً لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ   ( الأعراف: ٥٢ )

And certainly
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
We had brought (to) them
جِئْنَٰهُم
लाए हम उनके पास
a Book
بِكِتَٰبٍ
एक किताब
which We have explained
فَصَّلْنَٰهُ
खोल कर बयान किया हमने उसे
with
عَلَىٰ
इल्म की बिना पर
knowledge -
عِلْمٍ
इल्म की बिना पर
a guidance
هُدًى
हिदायत
and mercy
وَرَحْمَةً
और रहमत है
for a people
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
who believe
يُؤْمِنُونَ
जो ईमान रखते हैं

Walaqad jinahum bikitabin fassalnahu 'ala 'ilmin hudan warahmatan liqawmin yuminoona (al-ʾAʿrāf 7:52)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और निश्चय ही हम उनके पास एक ऐसी किताब ले आए है, जिसे हमने ज्ञान के आधार पर विस्तृत किया है, जो ईमान लानेवालों के लिए मार्गदर्शन और दयालुता है

English Sahih:

And We had certainly brought them a Book which We detailed by knowledge – as guidance and mercy to a people who believe. ([7] Al-A'raf : 52)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जिस तरह यह लोग (हमारी) आज की हुज़ूरी को भूलें बैठे थे और हमारी आयतों से इन्कार करते थे हालांकि हमने उनके पास (रसूल की मारफत किताब भी भेज दी है)