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الَّذِيْنَ اتَّخَذُوْا دِيْنَهُمْ لَهْوًا وَّلَعِبًا وَّغَرَّتْهُمُ الْحَيٰوةُ الدُّنْيَاۚ فَالْيَوْمَ نَنْسٰىهُمْ كَمَا نَسُوْا لِقَاۤءَ يَوْمِهِمْ هٰذَاۙ وَمَا كَانُوْا بِاٰيٰتِنَا يَجْحَدُوْنَ   ( الأعراف: ٥١ )

Those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
took
ٱتَّخَذُوا۟
बना लिया
their religion
دِينَهُمْ
अपने दीन को
(as) an amusement
لَهْوًا
शुग़ल
and play
وَلَعِبًا
और खेल
and deluded them
وَغَرَّتْهُمُ
और धोखे में डाला उनको
the life
ٱلْحَيَوٰةُ
ज़िन्दगी ने
(of) the world"
ٱلدُّنْيَاۚ
दुनिया की
So today
فَٱلْيَوْمَ
तो आज
We forget them
نَنسَىٰهُمْ
हम भुला देंगे उन्हें
as
كَمَا
जैसा कि
they forgot
نَسُوا۟
उन्होंने भुला दिया
(the) meeting
لِقَآءَ
मुलाक़ात को
(of) their day
يَوْمِهِمْ
अपने उस दिन की
this
هَٰذَا
अपने उस दिन की
and [what]
وَمَا
और जो
(as) they used to
كَانُوا۟
थे वो
with Our Verses
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी आयात का
they reject
يَجْحَدُونَ
वो इन्कार करते

Allatheena ittakhathoo deenahum lahwan wala'iban wagharrathumu alhayatu alddunya faalyawma nansahum kama nasoo liqaa yawmihim hatha wama kanoo biayatina yajhadoona (al-ʾAʿrāf 7:51)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उनके लिए जिन्होंने अपना धर्म खेल-तमाशा ठहराया और जिन्हें सांसारिक जीवन ने धोखे में डाल दिया, तो आज हम भी उन्हें भुला देंगे, जिस प्रकार वे अपने इस दिन की मुलाक़ात को भूले रहे और हमारी आयतों का इनकार करते रहे

English Sahih:

Who took their religion as distraction and amusement and whom the worldly life deluded." So today We will forget them just as they forgot the meeting of this Day of theirs and for having rejected Our verses. ([7] Al-A'raf : 51)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जिन लोगों ने अपने दीन को खेल तमाशा बना लिया था और दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी ने उनको फरेब दिया था तो हम भी आज (क़यामत में) उन्हें (क़सदन) भूल जाएगें