وَبَيْنَهُمَا حِجَابٌۚ وَعَلَى الْاَعْرَافِ رِجَالٌ يَّعْرِفُوْنَ كُلًّا ۢ بِسِيْمٰىهُمْۚ وَنَادَوْا اَصْحٰبَ الْجَنَّةِ اَنْ سَلٰمٌ عَلَيْكُمْۗ لَمْ يَدْخُلُوْهَا وَهُمْ يَطْمَعُوْنَ ( الأعراف: ٤٦ )
Wabaynahuma hijabun wa'ala ala'rafi rijalun ya'rifoona kullan biseemahum wanadaw ashaba aljannati an salamun 'alaykum lam yadkhulooha wahum yatma'oona (al-ʾAʿrāf 7:46)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और इन दोनों के मध्य एक ओट होगी। और ऊँचाइयों पर कुछ लोग होंगे जो प्रत्येक को उसके लक्षणों से पहचानते होंगे, और जन्नतवालों से पुकारकर कहेंगे, 'तुम पर सलाम है।' वे अभी जन्नत में प्रविष्ट तो नहीं हुए होंगे, यद्यपि वे आस लगाए होंगे
English Sahih:
And between them will be a partition [i.e., wall], and on [its] elevations are men who recognize all by their mark. And they call out to the companions of Paradise, "Peace be upon you." They have not [yet] entered it, but they long intensely. ([7] Al-A'raf : 46)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और बेहश्त व दोज़ख के दरमियान एक हद फ़ासिल है और कुछ लोग आराफ़ पर होगें जो हर शख्स को (बेहिश्ती हो या जहन्नुमी) उनकी पेशानी से पहचान लेगें और वह जन्नत वालों को आवाज़ देगें कि तुम पर सलाम हो या (आराफ़ वाले) लोग अभी दाख़िले जन्नत नहीं हुए हैं मगर वह तमन्ना ज़रूर रखते हैं