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وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَا نُكَلِّفُ نَفْسًا اِلَّا وُسْعَهَآ اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَنَّةِۚ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ   ( الأعراف: ٤٢ )

But those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
believe
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
and do
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
[the] righteous deeds
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
not
لَا
नहीं हम तकलीफ़ देते
We burden
نُكَلِّفُ
नहीं हम तकलीफ़ देते
any soul
نَفْسًا
किसी जान को
except
إِلَّا
मगर
(to) its capacity
وُسْعَهَآ
उसकी वुसअत के मुताबिक़
Those
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
(are the) companions
أَصْحَٰبُ
साथी
(of) Paradise
ٱلْجَنَّةِۖ
जन्नत के
they
هُمْ
वो
in it
فِيهَا
उसमें
(will) abide forever
خَٰلِدُونَ
हमेशा रहने वाले हैं

Waallatheena amanoo wa'amiloo alssalihati la nukallifu nafsan illa wus'aha olaika ashabu aljannati hum feeha khalidoona (al-ʾAʿrāf 7:42)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

इसके विपरित जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए - हम किसी पर उसकी सामर्थ्य से बढ़कर बोझ नहीं डालते - वही लोग जन्नतवाले है। वे उसमें सदैव रहेंगे

English Sahih:

But those who believed and did righteous deeds – We charge no soul except [within] its capacity. Those are the companions of Paradise; they will abide therein eternally. ([7] Al-A'raf : 42)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और अच्छे अच्छे काम किये और हम तो किसी शख्स को उसकी ताकत से ज्यादा तकलीफ देते ही नहीं यहीं लोग जन्नती हैं कि वह हमेशा जन्नत ही में रहा (सहा) करेगें