اِنَّ الَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا وَاسْتَكْبَرُوْا عَنْهَا لَا تُفَتَّحُ لَهُمْ اَبْوَابُ السَّمَاۤءِ وَلَا يَدْخُلُوْنَ الْجَنَّةَ حَتّٰى يَلِجَ الْجَمَلُ فِيْ سَمِّ الْخِيَاطِ ۗ وَكَذٰلِكَ نَجْزِى الْمُجْرِمِيْنَ ( الأعراف: ٤٠ )
Inna allatheena kaththaboo biayatina waistakbaroo 'anha la tufattahu lahum abwabu alssamai wala yadkhuloona aljannata hatta yalija aljamalu fee sammi alkhiyati wakathalika najzee almujrimeena (al-ʾAʿrāf 7:40)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया और उनके मुक़ाबले में अकड़ दिखाई, उनके लिए आकाश के द्वार नहीं खोले जाएँगे और न वे जन्नत में प्रवेश करेंग जब तक कि ऊँट सुई के नाके में से न गुज़र जाए। हम अपराधियों को ऐसा ही बदला देते है
English Sahih:
Indeed, those who deny Our verses and are arrogant toward them – the gates of Heaven will not be opened for them, nor will they enter Paradise until a camel enters into the eye of a needle [i.e., never]. And thus do We recompense the criminals. ([7] Al-A'raf : 40)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और उनसे सरताबी की न उनके लिए आसमान के दरवाज़े खोले जाएंगें और वह बेहश्त ही में दाखिल होने पाएगें यहाँ तक कि ऊँट सूई के नाके में होकर निकल जाए (यानि जिस तरह ये मुहाल है) उसी तरह उनका बेहश्त में दाखिल होना मुहाल है और हम मुजरिमों को ऐसी ही सज़ा दिया करते हैं उनके लिए जहन्नुम (की आग) का बिछौना होगा