قُلْ اَمَرَ رَبِّيْ بِالْقِسْطِۗ وَاَقِيْمُوْا وُجُوْهَكُمْ عِنْدَ كُلِّ مَسْجِدٍ وَّادْعُوْهُ مُخْلِصِيْنَ لَهُ الدِّيْنَ ەۗ كَمَا بَدَاَكُمْ تَعُوْدُوْنَۗ ( الأعراف: ٢٩ )
Qul amara rabbee bialqisti waaqeemoo wujoohakum 'inda kulli masjidin waod'oohu mukhliseena lahu alddeena kama badaakum ta'oodoona (al-ʾAʿrāf 7:29)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कह दो, 'मेरे रब ने तो न्याय का आदेश दिया है और यह कि इबादत के प्रत्येक अवसर पर अपना रुख़ ठीक रखो और निरे उसी के भक्त एवं आज्ञाकारी बनकर उसे पुकारो। जैसे उसने तुम्हें पहली बार पैदा किया, वैसे ही तुम फिर पैदा होगे।'
English Sahih:
Say, [O Muhammad], "My Lord has ordered justice and that you direct yourselves [to the Qiblah] at every place [or time] of prostration, and invoke Him, sincere to Him in religion." Just as He originated you, you will return [to life] – ([7] Al-A'raf : 29)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मेरे परवरदिगार ने तो इन्साफ का हुक्म दिया है और (ये भी क़रार दिया है कि) हर नमाज़ के वक्त अपने अपने मुँह (क़िबले की तरफ़) सीधे कर लिया करो और इसके लिए निरी खरी इबादत करके उससे दुआ मांगो जिस तरह उसने तुम्हें शुरू शुरू पैदा किया था