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قَالَ اهْبِطُوْا بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّ ۚوَلَكُمْ فِى الْاَرْضِ مُسْتَقَرٌّ وَّمَتَاعٌ اِلٰى حِيْنٍ   ( الأعراف: ٢٤ )

(Allah) said
قَالَ
फ़रमाया
"Get down
ٱهْبِطُوا۟
उतर जाओ
some of you
بَعْضُكُمْ
बाज़ तुम्हारे
to some others
لِبَعْضٍ
बाज़ के
(as) enemy
عَدُوٌّۖ
दुश्मन हैं
And for you
وَلَكُمْ
और तुम्हारे लिए
in
فِى
ज़मीन में
the earth
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
(is) a dwelling place
مُسْتَقَرٌّ
एक जाय क़रार है
and livelihood
وَمَتَٰعٌ
और कुछ फ़ायदा उठाना है
for
إِلَىٰ
एक वक़्त तक
a time"
حِينٍ
एक वक़्त तक

Qala ihbitoo ba'dukum liba'din 'aduwwun walakum fee alardi mustaqarrun wamata'un ila heenin (al-ʾAʿrāf 7:24)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कहा, 'उतर जाओ! तुम परस्पर एक-दूसरे के शत्रु हो और एक अवधि कर तुम्हारे लिए धरती में ठिकाना और जीवन-सामग्री है।'

English Sahih:

[Allah] said, "Descend, being to one another enemies. And for you on the earth is a place of settlement and enjoyment [i.e., provision] for a time." ([7] Al-A'raf : 24)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

हुक्म हुआ तुम (मियां बीबी शैतान) सब के सब बेहशत से नीचे उतरो तुममें से एक का एक दुश्मन है और (एक ख़ास) वक्त तक तुम्हारा ज़मीन में ठहराव (ठिकाना) और ज़िन्दगी का सामना है