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وَاِذَا قُرِئَ الْقُرْاٰنُ فَاسْتَمِعُوْا لَهٗ وَاَنْصِتُوْا لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ  ( الأعراف: ٢٠٤ )

And when
وَإِذَا
और जब
is recited
قُرِئَ
पढ़ा जाए
the Quran
ٱلْقُرْءَانُ
क़ुरआन
then listen
فَٱسْتَمِعُوا۟
पस ग़ौर से सुनो
to it
لَهُۥ
उसे
and pay attention
وَأَنصِتُوا۟
और ख़ामोश रहो
so that you may
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
receive mercy
تُرْحَمُونَ
तुम रहम किए जाओ

Waitha quria alquranu faistami'oo lahu waansitoo la'allakum turhamoona (al-ʾAʿrāf 7:204)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जब क़ुरआन पढ़ा जाए तो उसे ध्यानपूर्वक सुनो और चुप रहो, ताकि तुमपर दया की जाए

English Sahih:

So when the Quran is recited, then listen to it and pay attention that you may receive mercy. ([7] Al-A'raf : 204)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और ईमानदार लोगों के वास्ते हिदायत और रहमत हैं (लोगों) जब क़ुरान पढ़ा जाए तो कान लगाकर सुनो और चुपचाप रहो ताकि (इसी बहाने) तुम पर रहम किया जाए