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وَاِنْ تَدْعُوْهُمْ اِلَى الْهُدٰى لَا يَسْمَعُوْاۗ وَتَرٰىهُمْ يَنْظُرُوْنَ اِلَيْكَ وَهُمْ لَا يُبْصِرُوْنَ  ( الأعراف: ١٩٨ )

And if
وَإِن
और अगर
you call them
تَدْعُوهُمْ
तुम पुकारो उन्हें
to
إِلَى
तरफ़ हिदायत के
the guidance
ٱلْهُدَىٰ
तरफ़ हिदायत के
not
لَا
नहीं वो सुनेंगे
do they not
يَسْمَعُوا۟ۖ
नहीं वो सुनेंगे
And you see them
وَتَرَىٰهُمْ
और आप देखेंगे उन्हें
looking
يَنظُرُونَ
कि वो देख रहे हैं
at you
إِلَيْكَ
तरफ़ आप के
but they
وَهُمْ
हालाँकि वो
not
لَا
नहीं वो देख रहे
(do) they see
يُبْصِرُونَ
नहीं वो देख रहे

Wain tad'oohum ila alhuda la yasma'oo watarahum yanthuroona ilayka wahum la yubsiroona (al-ʾAʿrāf 7:198)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और यदि तुम उन्हें सीधे मार्ग की ओर बुलाओ तो वे न सुनेंगे। वे तुम्हें ऐसे दीख पड़ते हैं जैसे वे तुम्हारी ओर ताक रहे हैं, हालाँकि वे कुछ भी नहीं देखते

English Sahih:

And if you invite them to guidance, they do not hear; and you see them looking at you while they do not see. ([7] Al-A'raf : 198)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और अगर उन्हें हिदायत की तरफ बुलाएगा भी तो ये सुन ही नहीं सकते और तू तो समझता है कि वह तुझे (ऑखें खोले) देख रहे हैं हालॉकि वह देखते नहीं