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وَيٰٓاٰدَمُ اسْكُنْ اَنْتَ وَزَوْجُكَ الْجَنَّةَ فَكُلَا مِنْ حَيْثُ شِئْتُمَا وَلَا تَقْرَبَا هٰذِهِ الشَّجَرَةَ فَتَكُوْنَا مِنَ الظّٰلِمِيْنَ   ( الأعراف: ١٩ )

And O Adam!
وَيَٰٓـَٔادَمُ
और ऐ आदम
Dwell
ٱسْكُنْ
रहो
you
أَنتَ
तुम
and your wife
وَزَوْجُكَ
और बीवी तुम्हारी
(in) the Garden
ٱلْجَنَّةَ
जन्नत में
and you both eat
فَكُلَا
पस दोनों खाओ
from
مِنْ
जहाँ से
wherever
حَيْثُ
जहाँ से
you both wish
شِئْتُمَا
तुम दोनों चाहो
but (do) not
وَلَا
और ना
approach [you both]
تَقْرَبَا
तुम दोनों क़रीब जाना
this
هَٰذِهِ
इस दरख़्त के
[the] tree
ٱلشَّجَرَةَ
इस दरख़्त के
lest you both be
فَتَكُونَا
वरना तुम दोनों हो जाओगे
among
مِنَ
ज़ालिमों में से
the wrongdoers"
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों में से

Waya adamu oskun anta wazawjuka aljannata fakula min haythu shituma wala taqraba hathihi alshshajarata fatakoona mina alththalimeena (al-ʾAʿrāf 7:19)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और 'ऐ आदम! तुम और तुम्हारी पत्नी दोनों जन्नत में रहो-बसो, फिर जहाँ से चाहो खाओ, लेकिन इस वृक्ष के निकट न जाना, अन्यथा अत्याचारियों में से हो जाओगे।'

English Sahih:

And "O Adam, dwell, you and your wife, in Paradise and eat from wherever you will but do not approach this tree, lest you be among the wrongdoers." ([7] Al-A'raf : 19)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (आदम से कहा) ऐ आदम तुम और तुम्हारी बीबी (दोनों) बेहश्त में रहा सहा करो और जहाँ से चाहो खाओ (पियो) मगर (ख़बरदार) उस दरख्त के करीब न जाना वरना तुम अपना आप नुक़सान करोगे