وَلَوْ شِئْنَا لَرَفَعْنٰهُ بِهَا وَلٰكِنَّهٗٓ اَخْلَدَ اِلَى الْاَرْضِ وَاتَّبَعَ هَوٰىهُۚ فَمَثَلُهٗ كَمَثَلِ الْكَلْبِۚ اِنْ تَحْمِلْ عَلَيْهِ يَلْهَثْ اَوْ تَتْرُكْهُ يَلْهَثْۗ ذٰلِكَ مَثَلُ الْقَوْمِ الَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَاۚ فَاقْصُصِ الْقَصَصَ لَعَلَّهُمْ يَتَفَكَّرُوْنَ ( الأعراف: ١٧٦ )
Walaw shina larafa'nahu biha walakinnahu akhlada ila alardi waittaba'a hawahu famathaluhu kamathali alkalbi in tahmil 'alayhi yalhath aw tatrukhu yalhath thalika mathalu alqawmi allatheena kaththaboo biayatina faoqsusi alqasasa la'allahum yatafakkaroona (al-ʾAʿrāf 7:176)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यदि हम चाहते तो इन आयतों के द्वारा उसे उच्चता प्रदान करते, किन्तु वह तो धरती के साथ लग गया और अपनी इच्छा के पीछे चला। अतः उसकी मिसाल कुत्ते जैसी है कि यदि तुम उसपर आक्षेप करो तब भी वह ज़बान लटकाए रहे या यदि तुम उसे छोड़ दो तब भी वह ज़बान लटकाए ही रहे। यही मिसाल उन लोगों की है, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया, तो तुम वृत्तान्त सुनाते रहो, कदाचित वे सोच-विचार कर सकें
English Sahih:
And if We had willed, We could have elevated him thereby, but he adhered [instead] to the earth and followed his own desire. So his example is like that of the dog: if you chase him, he pants, or if you leave him, he [still] pants. That is the example of the people who denied Our signs. So relate the stories that perhaps they will give thought. ([7] Al-A'raf : 176)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और अगर हम चाहें तो हम उसे उन्हें आयतों की बदौलत बुलन्द मरतबा कर देते मगर वह तो ख़ुद ही पस्ती (नीचे) की तरफ झुक पड़ा और अपनी नफसानी ख्वाहिश का ताबेदार बन बैठा तो उसकी मसल है कि अगर उसको धुत्कार दो तो भी ज़बान निकाले रहे और उसको छोड़ दो तो भी ज़बान निकले रहे ये मसल उन लोगों की है जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया तो (ऐ रसूल) ये क़िस्से उन लोगों से बयान कर दो ताकि ये लोग खुद भी ग़ौर करें