۞ وَاِذْ نَتَقْنَا الْجَبَلَ فَوْقَهُمْ كَاَنَّهٗ ظُلَّةٌ وَّظَنُّوْٓا اَنَّهٗ وَاقِعٌۢ بِهِمْۚ خُذُوْا مَآ اٰتَيْنٰكُمْ بِقُوَّةٍ وَّاذْكُرُوْا مَا فِيْهِ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُوْنَ ࣖ ( الأعراف: ١٧١ )
Waith nataqna aljabala fawqahum kaannahu thullatun wathannoo annahu waqi'un bihim khuthoo ma ataynakum biquwwatin waothkuroo ma feehi la'allakum tattaqoona (al-ʾAʿrāf 7:171)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और याद करो जब हमने पर्वत को हिलाया, जो उनके ऊपर था। मानो वह कोई छत्र हो और वे समझे कि बस वह उनपर गिरा ही चाहता है, 'थामो मज़बूती से, जो कुछ हमने दिया है। और जो कुछ उसमें है उसे याद रखो, ताकि तुम बच सको।'
English Sahih:
And [mention] when We raised the mountain above them as if it was a dark cloud and they were certain that it would fall upon them, [and Allah said], "Take what We have given you with determination and remember what is in it that you might fear Allah." ([7] Al-A'raf : 171)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
तो (ऐ रसूल यहूद को याद दिलाओ) जब हम ने उन (के सरों) पर पहाड़ को इस तरह लटका दिया कि गोया साएबान (छप्पर) था और वह लोग समझ चुके थे कि उन पर अब गिरा और हमने उनको हुक्म दिया कि जो कुछ हमने तुम्हें अता किया है उसे मज़बूती से पकड़ लो और जो कुछ उसमें लिखा है याद रखो ताकि तुम परहेज़गार बन जाओ