وَالَّذِيْنَ يُمَسِّكُوْنَ بِالْكِتٰبِ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَۗ اِنَّا لَا نُضِيْعُ اَجْرَ الْمُصْلِحِيْنَ ( الأعراف: ١٧٠ )
And those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
hold fast
يُمَسِّكُونَ
मज़बूती से पकड़ते हैं
to the Book
بِٱلْكِتَٰبِ
किताब को
and establish
وَأَقَامُوا۟
और वो क़ायम करते हैं
the prayer
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़ को
indeed We
إِنَّا
बेशक हम
(will) not
لَا
नहीं हम ज़ाया करते
[We] let go waste
نُضِيعُ
नहीं हम ज़ाया करते
(the) reward
أَجْرَ
अजर
(of) the reformers
ٱلْمُصْلِحِينَ
इस्लाह करने वालों का
Waallatheena yumassikoona bialkitabi waaqamoo alssalata inna la nudee'u ajra almusliheena (al-ʾAʿrāf 7:170)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जो लोग किताब को मज़बूती से थामते है और जिन्होंने नमाज़ क़ायम कर रखी है, तो काम को ठीक रखनेवालों के प्रतिदान को हम कभी अकारथ नहीं करते
English Sahih:
But those who hold fast to the Book [i.e., the Quran] and establish prayer – indeed, We will not allow to be lost the reward of the reformers. ([7] Al-A'raf : 170)