اَلَّذِيْنَ يَتَّبِعُوْنَ الرَّسُوْلَ النَّبِيَّ الْاُمِّيَّ الَّذِيْ يَجِدُوْنَهٗ مَكْتُوْبًا عِنْدَهُمْ فِى التَّوْرٰىةِ وَالْاِنْجِيْلِ يَأْمُرُهُمْ بِالْمَعْرُوْفِ وَيَنْهٰىهُمْ عَنِ الْمُنْكَرِ وَيُحِلُّ لَهُمُ الطَّيِّبٰتِ وَيُحَرِّمُ عَلَيْهِمُ الْخَبٰۤىِٕثَ وَيَضَعُ عَنْهُمْ اِصْرَهُمْ وَالْاَغْلٰلَ الَّتِيْ كَانَتْ عَلَيْهِمْۗ فَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا بِهٖ وَعَزَّرُوْهُ وَنَصَرُوْهُ وَاتَّبَعُوا النُّوْرَ الَّذِيْٓ اُنْزِلَ مَعَهٗٓ ۙاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ࣖ ( الأعراف: ١٥٧ )
Allatheena yattabi'oona alrrasoola alnnabiyya alommiyya allathee yajidoonahu maktooban 'indahum fee alttawrati waalinjeeli yamuruhum bialma'roofi wayanhahum 'ani almunkari wayuhillu lahumu alttayyibati wayuharrimu 'alayhimu alkhabaitha wayada'u 'anhum israhum waalaghlala allatee kanat 'alayhim faallatheena amanoo bihi wa'azzaroohu wanasaroohu waittaba'oo alnnoora allathee onzila ma'ahu olaika humu almuflihoona (al-ʾAʿrāf 7:157)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'(तो आज इस दयालुता के अधिकारी वे लोग है) जो उस रसूल, उम्मी नबी का अनुसरण करते है, जिसे वे अपने यहाँ तौरात और इंजील में लिखा पाते है। और जो उन्हें भलाई का हुक्म देता और बुराई से रोकता है। उनके लिए अच्छी-स्वच्छ चीज़ों का हलाल और बुरी-अस्वच्छ चीज़ों का हराम ठहराता है और उनपर से उनके वह बोझ उतारता है, जो अब तक उनपर लदे हुए थे और उन बन्धनों को खोलता है, जिनमें वे जकड़े हुए थे। अतः जो लोग उसपर ईमान लाए, उसका सम्मान किया और उसकी सहायता की और उस प्रकाश के अनुगत हुए, जो उसके साथ अवतरित हुआ है, वही सफलता प्राप्त करनेवाले है।'
English Sahih:
Those who follow the Messenger, the unlettered prophet, whom they find written [i.e., described] in what they have of the Torah and the Gospel, who enjoins upon them what is right and prohibits them from what is wrong and makes lawful for them what is good and forbids them from what is evil and relieves them of their burden and the shackles which were upon them. So they who have believed in him, honored him, supported him and followed the light which was sent down with him – it is those who will be the successful. ([7] Al-A'raf : 157)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(यानि) जो लोग हमारे बनी उल उम्मी पैग़म्बर के क़दम बा क़दम चलते हैं जिस (की बशारत) को अपने हॉ तौरैत और इन्जील में लिखा हुआ पाते है (वह नबी) जो अच्छे काम का हुक्म देता है और बुरे काम से रोकता है और जो पाक व पाकीज़ा चीजे तो उन पर हलाल और नापाक गन्दी चीजे उन पर हराम कर देता है और (सख्त एहकाम का) बोझ जो उनकी गर्दन पर था और वह फन्दे जो उन पर (पड़े हुए) थे उनसे हटा देता है पस (याद रखो कि) जो लोग (नबी मोहम्मद) पर ईमान लाए और उसकी इज्ज़त की और उसकी मदद की और उस नूर (क़ुरान) की पैरवी की जो उसके साथ नाज़िल हुआ है तो यही लोग अपनी दिली मुरादे पाएंगें