۞ وَاكْتُبْ لَنَا فِيْ هٰذِهِ الدُّنْيَا حَسَنَةً وَّفِى الْاٰخِرَةِ اِنَّا هُدْنَآ اِلَيْكَۗ قَالَ عَذَابِيْٓ اُصِيْبُ بِهٖ مَنْ اَشَاۤءُۚ وَرَحْمَتِيْ وَسِعَتْ كُلَّ شَيْءٍۗ فَسَاَكْتُبُهَا لِلَّذِيْنَ يَتَّقُوْنَ وَيُؤْتُوْنَ الزَّكٰوةَ وَالَّذِيْنَ هُمْ بِاٰيٰتِنَا يُؤْمِنُوْنَۚ ( الأعراف: ١٥٦ )
Waoktub lana fee hathihi alddunya hasanatan wafee alakhirati inna hudna ilayka qala 'athabee oseebu bihi man ashao warahmatee wasi'at kulla shayin fasaaktubuha lillatheena yattaqoona wayutoona alzzakata waallatheena hum biayatina yuminoona (al-ʾAʿrāf 7:156)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'और हमारे लिए इस संसार में भलाई लिख दे और आख़िरत में भी। हम तेरी ही ओर उन्मुख हुए।' उसने कहा, 'अपनी यातना में मैं तो उसी को ग्रस्त करता हूँ, जिसे चाहता हूँ, किन्तु मेरी दयालुता से हर चीज़ आच्छादित है। उसे तो मैं उन लोगों के हक़ में लिखूँगा जो डर रखते और ज़कात देते है और जो हमारी आयतों पर ईमान लाते है
English Sahih:
And decree for us in this world [that which is] good and [also] in the Hereafter; indeed, we have turned back to You." [Allah] said, "My punishment – I afflict with it whom I will, but My mercy encompasses all things." So I will decree it [especially] for those who fear Me and give Zakah and those who believe in Our verses– ([7] Al-A'raf : 156)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और तू ही इस दुनिया (फ़ानी) और आख़िरत में हमारे वास्ते भलाई के लिए लिख ले हम तेरी ही तरफ रूझू करते हैं ख़ुदा ने फरमाया जिसको मैं चाहता हूँ (मुस्तहक़ समझकर) अपना अज़ाब पहुँचा देता हूँ और मेरी रहमत हर चीज़ पर छाई हैं मै तो उसे बहुत जल्द ख़ास उन लोगों के लिए लिख दूँगा (जो बुरी बातों से) बचते रहेंगे और ज़कात दिया करेंगे और जो हमारी बातों पर ईमान रखा करेंगें