سَاَصْرِفُ عَنْ اٰيٰتِيَ الَّذِيْنَ يَتَكَبَّرُوْنَ فِى الْاَرْضِ بِغَيْرِ الْحَقِّۗ وَاِنْ يَّرَوْا كُلَّ اٰيَةٍ لَّا يُؤْمِنُوْا بِهَاۚ وَاِنْ يَّرَوْا سَبِيْلَ الرُّشْدِ لَا يَتَّخِذُوْهُ سَبِيْلًاۚ وَاِنْ يَّرَوْا سَبِيْلَ الْغَيِّ يَتَّخِذُوْهُ سَبِيْلًاۗ ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا وَكَانُوْا عَنْهَا غٰفِلِيْنَ ( الأعراف: ١٤٦ )
Saasrifu 'an ayatiya allatheena yatakabbaroona fee alardi bighayri alhaqqi wain yaraw kulla ayatin la yuminoo biha wain yaraw sabeela alrrushdi la yattakhithoohu sabeelan wain yaraw sabeela alghayyi yattakhithoohu sabeelan thalika biannahum kaththaboo biayatina wakanoo 'anha ghafileena (al-ʾAʿrāf 7:146)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जो लोग धरती में नाहक़ बड़े बनते है, मैं अपनी निशानियों की ओर से उन्हें फेर दूँगा। यदि वे प्रत्येक निशानी देख ले तब भी वे उस पर ईमान नहीं लाएँगे। यदि वे सीधा मार्ग देख लें तो भी वे उसे अपना मार्ग नहीं बनाएँगे। लेकिन यदि वे पथभ्रष्ट का मार्ग देख लें तो उसे अपना मार्ग ठहरा लेंगे। यह इसलिए की उन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया और उनसे ग़ाफ़िल रहे
English Sahih:
I will turn away from My signs those who are arrogant upon the earth without right; and if they should see every sign, they will not believe in it. And if they see the way of consciousness, they will not adopt it as a way; but if they see the way of error, they will adopt it as a way. That is because they have denied Our signs and they were heedless of them. ([7] Al-A'raf : 146)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
जो लोग (ख़ुदा की) ज़मीन पर नाहक़ अकड़ते फिरते हैं उनको अपनी आयतों से बहुत जल्द फेर दूंगा और मै क्या फेरूंगा ख़ुदा (उसका दिल ऐसा सख्त है कि) अगर दुनिया जहॉन के सारे मौजिज़े भी देखते तो भी ये उन पर ईमान न लाएगें और (अगर) सीधा रास्ता भी देख पाएं तो भी अपनी राह न जाएगें और अगर गुमराही की राह देख लेगें तो झटपट उसको अपना तरीक़ा बना लेगें ये कजरवी इस सबब से हुई कि उन लोगों ने हमारी आयतों को झुठला दिया और उनसे ग़फलत करते रहे