اِنَّ هٰٓؤُلَاۤءِ مُتَبَّرٌ مَّا هُمْ فِيْهِ وَبٰطِلٌ مَّا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ( الأعراف: ١٣٩ )
Indeed
إِنَّ
बेशक
these
هَٰٓؤُلَآءِ
ये सब
destroyed
مُتَبَّرٌ
बरबाद होने वाला है
(is) what
مَّا
जो
they
هُمْ
वो हैं
(are) in it
فِيهِ
उसमें
and vain
وَبَٰطِلٌ
और बातिल/ग़लत हैं
(is) what
مَّا
जो कुछ
they used to
كَانُوا۟
हैं वो
do"
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
Inna haolai mutabbarun ma hum feehi wabatilun ma kanoo ya'maloona (al-ʾAʿrāf 7:139)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
“निश्चय ही वह लोग लगे हुए है, बरबाद होकर रहेगा। और जो कुछ ये कर रहे है सर्वथा व्यर्थ है।'
English Sahih:
Indeed, those [worshippers] – destroyed is that in which they are [engaged], and worthless is whatever they were doing." ([7] Al-A'raf : 139)