قَالَ فِرْعَوْنُ اٰمَنْتُمْ بِهٖ قَبْلَ اَنْ اٰذَنَ لَكُمْۚ اِنَّ هٰذَا لَمَكْرٌ مَّكَرْتُمُوْهُ فِى الْمَدِيْنَةِ لِتُخْرِجُوْا مِنْهَآ اَهْلَهَاۚ فَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ( الأعراف: ١٢٣ )
Qala fir'awnu amantum bihi qabla an athana lakum inna hatha lamakrun makartumoohu fee almadeenati litukhrijoo minha ahlaha fasawfa ta'lamoona (al-ʾAʿrāf 7:123)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फ़िरऔन बोला, 'इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति दूँ, तं उसपर ईमान ले आए! यह तो एक चाल है, जो तुम लोग नगर में चले हो, ताकि उसके निवासियों को उससे निकाल दो। अच्छा, तो अब तुम्हें जल्द की मालूम हुआ जाता है!
English Sahih:
Said Pharaoh, "You believed in him before I gave you permission. Indeed, this is a conspiracy which you conspired in the city to expel therefrom its people. But you are going to know. ([7] Al-A'raf : 123)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
फिरऔन ने कहा (हाए) तुम लोग मेरी इजाज़त के क़ब्ल (पहले) उस पर ईमान ले आए ये ज़रूर तुम लोगों की मक्कारी है जो तुम लोगों ने उस शहर में फैला रखी है ताकि उसके बाशिन्दों को यहाँ से निकाल कर बाहर करो पस तुम्हें अन क़रीब ही उस शरारत का मज़ा मालूम हो जाएगा