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قُلْ اَرَءَيْتُمْ اِنْ اَهْلَكَنِيَ اللّٰهُ وَمَنْ مَّعِيَ اَوْ رَحِمَنَاۙ فَمَنْ يُّجِيْرُ الْكٰفِرِيْنَ مِنْ عَذَابٍ اَلِيْمٍ   ( الملك: ٢٨ )

Say
قُلْ
कह दीजिए
"Have you seen
أَرَءَيْتُمْ
क्या देखा तुमने
if
إِنْ
अगर
destroys me
أَهْلَكَنِىَ
हलाक कर दे मुझे
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
and whoever
وَمَن
और उसे जो
(is) with me
مَّعِىَ
मेरे साथ है
or
أَوْ
या
has mercy upon us
رَحِمَنَا
वो रहम करे हम पर
then who
فَمَن
तो कौन
(can) protect
يُجِيرُ
पनाह देगा
the disbelievers
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों को
from
مِنْ
अज़ाब से
a punishment
عَذَابٍ
अज़ाब से
painful"
أَلِيمٍ
दर्दनाक

Qul araaytum in ahlakaniya Allahu waman ma'iya aw rahimana faman yujeeru alkafireena min 'athabin aleemin (al-Mulk 67:28)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कहो, 'क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि अल्लाह मुझे और उन्हें भी, जो मेरे साथ है, विनष्ट ही कर दे या वह हम पर दया करे, आख़िर इनकार करनेवालों को दुखद यातना से कौन पनाह देगा?'

English Sahih:

Say, [O Muhammad], "Have you considered: whether Allah should cause my death and those with me or have mercy upon us, who can protect the disbelievers from a painful punishment?" ([67] Al-Mulk : 28)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम कह दो भला देखो तो कि अगर ख़ुदा मुझको और मेरे साथियों को हलाक कर दे या हम पर रहम फरमाए तो काफ़िरों को दर्दनाक अज़ाब से कौन पनाह देगा