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وَقَالُوْا لَوْ كُنَّا نَسْمَعُ اَوْ نَعْقِلُ مَا كُنَّا فِيْٓ اَصْحٰبِ السَّعِيْرِ  ( الملك: ١٠ )

And they will say
وَقَالُوا۟
और वो कहेंगे
"If
لَوْ
अगर
we had
كُنَّا
होते हम
listened
نَسْمَعُ
हम सुनते
or
أَوْ
या
reasoned
نَعْقِلُ
हम समझते
not
مَا
ना
we (would) have been
كُنَّا
होते हम
among
فِىٓ
साथियों में
(the) companions
أَصْحَٰبِ
साथियों में
(of) the Blaze"
ٱلسَّعِيرِ
भड़कती आग के

Waqaloo law kunna nasma'u aw na'qilu ma kunna fee ashabi alssa'eeri (al-Mulk 67:10)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और वे कहेंगे, 'यदि हम सुनते या बुद्धि से काम लेते तो हम दहकती आग में पड़नेवालों में सम्मिलित न होते।'

English Sahih:

And they will say, "If only we had been listening or reasoning, we would not be among the companions of the Blaze." ([67] Al-Mulk : 10)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (ये भी) कहेंगे कि अगर (उनकी बात) सुनते या समझते तब तो (आज) दोज़ख़ियों में न होते