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فَاِذَا بَلَغْنَ اَجَلَهُنَّ فَاَمْسِكُوْهُنَّ بِمَعْرُوْفٍ اَوْ فَارِقُوْهُنَّ بِمَعْرُوْفٍ وَّاَشْهِدُوْا ذَوَيْ عَدْلٍ مِّنْكُمْ وَاَقِيْمُوا الشَّهَادَةَ لِلّٰهِ ۗذٰلِكُمْ يُوْعَظُ بِهٖ مَنْ كَانَ يُؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ ەۗ وَمَنْ يَّتَّقِ اللّٰهَ يَجْعَلْ لَّهٗ مَخْرَجًا ۙ  ( الطلاق: ٢ )

Then when
فَإِذَا
फिर जब
they have reached
بَلَغْنَ
वो पहुँचें
their term
أَجَلَهُنَّ
अपना मुद्दत को
then retain them
فَأَمْسِكُوهُنَّ
तो रोक लो उन्हें
with kindness
بِمَعْرُوفٍ
भले तरीक़े से
or
أَوْ
या
part with them
فَارِقُوهُنَّ
जुदा कर दो उन्हें
with kindness
بِمَعْرُوفٍ
भले तरीक़े से
And take witness
وَأَشْهِدُوا۟
और गवाह बना लो
two men
ذَوَىْ
दो अदल वालों को
just
عَدْلٍ
दो अदल वालों को
among you
مِّنكُمْ
तुम में से
and establish
وَأَقِيمُوا۟
और क़ायम करो
the testimony
ٱلشَّهَٰدَةَ
गवाही
for Allah
لِلَّهِۚ
अल्लाह के लिए
That
ذَٰلِكُمْ
ये (है हुक्म)
is instructed
يُوعَظُ
नसीहत की जाती है
with it
بِهِۦ
जिसकी
whoever
مَن
उसे जो
[is]
كَانَ
हो वो
believes
يُؤْمِنُ
वो ईमान रखता
in Allah
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
and the Day
وَٱلْيَوْمِ
और आख़िरी दिन पर
the Last
ٱلْءَاخِرِۚ
और आख़िरी दिन पर
And whoever
وَمَن
और जो कोई
fears
يَتَّقِ
डरेगा
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह से
He will make
يَجْعَل
वो पैदा कर देगा
for him
لَّهُۥ
उसके लिए
a way out
مَخْرَجًا
निकलने का रास्ता

Faitha balaghna ajalahunna faamsikoohunna bima'roofin aw fariqoohunna bima'roofin waashhidoo thaway 'adlin minkum waaqeemoo alshshahadata lillahi thalikum yoo'athu bihi man kana yuminu biAllahi waalyawmi alakhiri waman yattaqi Allaha yaj'al lahu makhrajan (aṭ-Ṭalāq̈ 65:2)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर जब वे अपनी नियत इद्दत को पहुँचे तो या तो उन्हें भली रीति से रोक लो या भली रीति से अलग कर दो। और अपने में से दो न्यायप्रिय आदमियों को गवाह बना दो और अल्लाह के लिए गवाही को दुरुस्त रखो। इसकी नसीहत उस व्यक्ति को की जाती है जो अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखेगा उसके लिए वह (परेशानी से) निकलने का राह पैदा कर देगा

English Sahih:

And when they have [nearly] fulfilled their term, either retain them according to acceptable terms or part with them according to acceptable terms. And bring to witness two just men from among you and establish the testimony for [the acceptance of] Allah. That is instructed to whoever should believe in Allah and the Last Day. And whoever fears Allah – He will make for him a way out ([65] At-Talaq : 2)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो जब ये अपना इद्दा पूरा करने के करीब पहुँचे तो या तुम उन्हें उनवाने शाइस्ता से रोक लो या अच्छी तरह रूख़सत ही कर दो और (तलाक़ के वक्त) अपने लोगों में से दो आदिलों को गवाह क़रार दे लो और गवाहों तुम ख़ुदा के वास्ते ठीक ठीक गवाही देना इन बातों से उस शख़्श को नसीहत की जाती है जो ख़ुदा और रोजे अाख़ेरत पर ईमान रखता हो और जो ख़ुदा से डरेगा तो ख़ुदा उसके लिए नजात की सूरत निकाल देगा