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۞ وَاِذَا رَاَيْتَهُمْ تُعْجِبُكَ اَجْسَامُهُمْۗ وَاِنْ يَّقُوْلُوْا تَسْمَعْ لِقَوْلِهِمْۗ كَاَنَّهُمْ خُشُبٌ مُّسَنَّدَةٌ ۗيَحْسَبُوْنَ كُلَّ صَيْحَةٍ عَلَيْهِمْۗ هُمُ الْعَدُوُّ فَاحْذَرْهُمْۗ قَاتَلَهُمُ اللّٰهُ ۖاَنّٰى يُؤْفَكُوْنَ  ( المنافقون: ٤ )

And when
وَإِذَا
और जब
you see them
رَأَيْتَهُمْ
देखें आप उन्हें
pleases you
تُعْجِبُكَ
अच्छे लगें आपको
their bodies
أَجْسَامُهُمْۖ
जिस्म उनके
and if
وَإِن
और अगर
they speak
يَقُولُوا۟
वो बात करें
you listen
تَسْمَعْ
आप सुनते रह जाऐं
to their speech
لِقَوْلِهِمْۖ
उनकी बात को
as if they (were)
كَأَنَّهُمْ
गोया कि वो
pieces of wood
خُشُبٌ
लकड़ियाँ हैं
propped up
مُّسَنَّدَةٌۖ
टेक लगाई हुईं
They think
يَحْسَبُونَ
वो गुमान करते हैं
every
كُلَّ
हर
shout
صَيْحَةٍ
बुलन्द आवाज़ को
(is) against them
عَلَيْهِمْۚ
अपने ऊपर
They
هُمُ
वो ही
(are) the enemy
ٱلْعَدُوُّ
दुश्मन हैं
so beware of them
فَٱحْذَرْهُمْۚ
पस आप मोहतात रहिए उनसे
May destroy them!
قَٰتَلَهُمُ
ग़ारत करे उन्हें
Allah!
ٱللَّهُۖ
अल्लाह
How
أَنَّىٰ
कहाँ से
are they deluded?
يُؤْفَكُونَ
वो फेरे जाते हैं

Waitha raaytahum tu'jibuka ajsamuhum wain yaqooloo tasma' liqawlihim kaannahum khushubun musannadatun yahsaboona kulla sayhatin 'alayhim humu al'aduwwu faihtharhum qatalahumu Allahu anna yufakoona (al-Munāfiq̈ūn 63:4)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

तुम उन्हें देखते हो तो उनके शरीर (बाह्य रूप) तुम्हें अच्छे लगते है, औरयदि वे बात करें तो उनकी बात तुम सुनते रह जाओ। किन्तु यह ऐसा ही है मानो वे लकड़ी के कुंदे है, जिन्हें (दीवार के सहारे) खड़ा कर दिया गया हो। हर ज़ोर की आवाज़ को वे अपने ही विरुद्ध समझते है। वही वास्तविक शत्रु हैं, अतः उनसे बचकर रहो। अल्लाह की मार उनपर। वे कहाँ उल्टे फिरे जा रहे है!

English Sahih:

And when you see them, their forms please you, and if they speak, you listen to their speech. [They are] as if they were pieces of wood propped up – they think that every shout is against them. They are the enemy, so beware of them. May Allah destroy them; how are they deluded? ([63] Al-Munafiqun : 4)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जब तुम उनको देखोगे तो तनासुबे आज़ा की वजह से उनका क़द व क़ामत तुम्हें बहुत अच्छा मालूम होगा और गुफ्तगू करेंगे तो ऐसी कि तुम तवज्जो से सुनो (मगर अक्ल से ख़ाली) गोया दीवारों से लगायी हुयीं बेकार लकड़ियाँ हैं हर चीख़ की आवाज़ को समझते हैं कि उन्हीं पर आ पड़ी ये लोग तुम्हारे दुश्मन हैं तुम उनसे बचे रहो ख़ुदा इन्हें मार डाले ये कहाँ बहके फिरते हैं