تُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ وَتُجَاهِدُوْنَ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ بِاَمْوَالِكُمْ وَاَنْفُسِكُمْۗ ذٰلِكُمْ خَيْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَۙ ( الصف: ١١ )
Believe
تُؤْمِنُونَ
तुम ईमान लाओ
in Allah
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
and His Messenger
وَرَسُولِهِۦ
और उसके रसूल पर
and strive
وَتُجَٰهِدُونَ
और तुम जिहाद करो
in
فِى
अल्लाह के रास्ते में
(the) way
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
with your wealth
بِأَمْوَٰلِكُمْ
साथ अपने मालों के
and your lives
وَأَنفُسِكُمْۚ
और अपनी जानों के
That
ذَٰلِكُمْ
ये
(is) better
خَيْرٌ
बेहतर है
for you
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
if
إِن
अगर
you
كُنتُمْ
हो तुम
know
تَعْلَمُونَ
तुम इल्म रखते
Tuminoona biAllahi warasoolihi watujahidoona fee sabeeli Allahi biamwalikum waanfusikum thalikum khayrun lakum in kuntum ta'lamoona (aṣ-Ṣaff 61:11)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तुम्हें ईमान लाना है अल्लाह और उसके रसूल पर, और जिहाद करना है अल्लाह के मार्ग में अपने मालों और अपनी जानों से। यही तुम्हारे लिए उत्तम है, यदि तुम जानो
English Sahih:
[It is that] you believe in Allah and His Messenger and strive in the cause of Allah with your wealth and your lives. That is best for you, if you only knew. ([61] As-Saf : 11)